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भाजपा का ध्येय है दगाबाज फौज इकट्ठा करना : राज बब्बर

rrनई दिल्ली। कई दशकों से उत्तर-प्रदेश में कांग्रेस की कद्दावर नेता रीता रही बहुगुणा जोशी के गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने इसे भाजपा द्वारा“ दगाबाज फौज” इकट्ठा किया जाना करार दिया है।रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा में शामिल होने पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा, “पार्टी का एक ध्येय है दगाबाज फौज इकट्ठा करना है।“

उन्होंने आरोप लगाया कि रीता बहुगुणा जोशी ने अपनी वजनदार पार्टी की अध्यक्ष रहने के नाते अपने वजन का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि रीता बहुगुणा जोशी इतिहास की प्राध्यापक रही हैं, उनके परिवार के इतिहास ही पार्टी बदलना है। वह अगले चुनाव में किसी और पार्टी के मंच पर नजर आ सकती है।

राज बब्बर ने कहा, “रीता बहुगुणा जोशी ने पार्टी नेतृत्व को बताया था कि वह बीमार हैं। वह इतनी तो समझदार होंगी कि जब इनके भाई के जाने से उत्तराखंड पार्टी को कोई फ्रक नहीं पड़ता तो उनके जाने से भी नहीं पड़ेगा।

वहीं कांग्रेस छोड़ने पर रीता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से लड़ने का बीड़ा उठाया है। कांग्रेस पार्टी सरकार और सेना का साथ देने की बजाय आलोचना करने लगी। ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने सबक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि जब तक कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के पास थी, जब तक सब ठीक था. राहुल गांधी के हाथ में कमान आने के बाद पार्टी आगे नहीं बढ़ पा रही है।

रीता बहुगुणा ने कहा, “मैं आज ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुई हूं। लंबे विचार के बाद मैंने यह फैसला किया है। करीब 24 वर्ष मैंने कांग्रेस में गुजारे, बीच में कुछ समय जरूर एसपी में रही। भाजपा में आने का फैसला मैंने काफी सोच-समझकर लिया है। मेरे लिए यह फैसलाआसान नहीं था। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को देश की सेना के साथ-साथ सरकार की भी उपलब्धि बताया। रीता ने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी ही सर्जिकल स्ट्राइक को स्वीकार नहीं करते हुए प्रमाण मांग रही है, ऐसे में देश की प्रतिष्ठा विदेशों में प्रभावित हुई है।

रीता बहुगुणा जोशी के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें बीते कुछ दिनों से लगाई जा रही थीं और उसपर मुहर लग गई। बीते चंद महीनों में यूपी में कांग्रेस के भीतर जिस तेज़ी से पार्टी की रणनीति बदली है और इस पूरे जोड़-तोड़ के समीकरण में रीता बहुगुणा जोशी हाशिए पर चली गई थीं, ऐसे में उनके लिए पार्टी का छोड़ना ही एक विकल्प बचा था।

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