राकेश यादव
को जेलमंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया से पंगा लेना भारी पड़ गया। बुधवार शाम को सरकार ने डीजी जेल गोपाल गुप्ता को हटाकर पुलिस महानिदेशक रेलवे पद पर भेज दिया। डीजी जेल ने जेल विभाग में हुए तबादलों में मनमानी की थी और जेलमंत्री की सिफारिशों को दर किनार कर दिया था। जेलमंत्री की उपेक्षा करने की डीजी जेल को बड़ी सजा मिली।
स्थानांतरण सत्र के अंतिम दिन 30 जून को प्रदेश के कारागार विभाग में अधीक्षक, जेलर एवं सुरक्षाकर्मियों के करीब सवा तीन सौ तबादले किए गए। तबादलों की सूची सार्वजनिक होने पर विभागीय अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों में खलबली मची गई। मिली जानकारी के मुताबिक जेलमंत्री ने तबादलों के लिए विभिन्न नेताओं और मंत्रियों की सिफारिशों पर कई अधिकारियों के तबादलों के लिए सूची डीजी जेल को भेजी थी। सूत्रों के मुताबिक जेलमंत्री की ओर से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक अधीक्षकों के तबादलों की सूची भेजी थी। डीजी जेल ने जेलमंत्री की सिफारिशों को दर किनार करते हुए सिर्फ तीन जेल अधीक्षक के ही तबादले किए थे। इसी प्रकार जेलर संवर्ग के करीब दो दर्जन से अधिक जेलरों के तबादलों की सिफारिश की गई थी। इसमें भी सूची को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने चुनिंदा जेलरों का ही तबादला किया। इसी प्रकार डिप्टी जेलर संवर्ग के अधिकारियों के साथ भी हुआ। करीब पांच दर्जन डिप्टी जेलरों की सिफारिश में सिर्फ एक दर्जन के करीब ही तबादले किए गए। स्थानांतरण सूची जारी होने के बाद विभागीय अधिकारियों का कहना था कि जेलमंत्री की ओर से कारागार विभाग के अधीक्षक संवर्ग, जेलर संवर्ग और डिप्टी जेलर संवर्ग के अधिकारियों के तबादलों के लिए लंबी चैड़ी सूची भेजी थी, किंतु नवनियुक्त डीजी जेल ने सूची को दर किनार करते हुए स्थानांतरण नीति के अनुसार सिर्फ दस फीसद अफसरों के ही तबादला किए। सूत्रों का कहना है कि स्थानांतरण नहीं होने से बौखलाएं अधिकारियों ने मंत्री को घेरना शुरू कर दिया। अभी यह प्रकरण चल ही रहा था कि बुधवार को सरकार ने पिछले दिनों पूर्व आईजी जेल डीएस चैहान को हटाकर डीजी जेल बनाए गए गोपाल गुप्ता को हटाकर उनके स्थान पर गोपाल लाल मीना को नया डीजी जेल नियुक्त कर दिया। इसको लेकर विभागीय अफसरों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा है कि जेलमंत्री से पंगा लेने की वजह से डीजी जेल को हटाया गया।