लखनऊ/इलाहाबाद। मथुरा के जवाहर बाग में 2 जून को हुई हिंसा की सीबीआई जांच के लिए दाखिल जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सरकार से 10 दिन में जवाब मांगा है। सरकार की ओर से लखनऊ बेंच में दाखिल और फिर खारिज याचिका को आधार बनाकर इस याचिका को भी खारिज करने की मांग की गई। हालांकि कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को अलग मानते हुए इस पर सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।याची की ओर से सोमवार को एक सप्लीमेंट्री एफिडेविट भी दाखिल किया गया। इसमें सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग की देखरेख में सीबीआई जांच कराने का भी विकल्प दिया गया है। एफिडेविट में प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री और उनके सांसद भाई को भी इस मामले में जिम्मेदार बताया गया है। याचिका पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस रवीन्द्र्र नाथ कक्कड़ की कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई कर रही है। बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से इस मामले में जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें मांग की गई है कि हाई कोर्ट या तो खुद सीबीआई जांच का आदेश करे या राज्य सरकार को ऐसा करने के लिए आदेशित करे। इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका 7 जून को खारिज हो गई थी। हालांकि कोर्ट ने याची को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की छूट दी थी। याचिका में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले को लेकर काफी लापरवाही बरती है। ऐसे में इस घटना के तथ्यों और सच्चाई को सामने लाने का एकमात्र तरीका सीबीआई जांच ही है। इस हिंसा में पुलिस के दो अधिकारियों समेत 29 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन राज्य सरकार इस मामले में गंभीर नहीं दिख रही है। याचिका में हिंसा से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिए जाने के तौर.तरीके पर भी सवाल उठाया गया है। कहा गया है कि जवाहर बाग में दो साल से सत्याग्रह के नाम पर कब्जा जमाने वाले हजारों लोगों को राजनीति संरक्षण प्राप्त था। ऐसे में राज्य सरकार मामले की निष्पक्षता से जांच नहीं करा सकती। सोमवार को इस याचिका पर दो घंटे बहस हुई। इस दौरान लखनऊ बेंच में इसी मामले को लेकर खारिज हो चुकी याचिका के 17 पन्नों के तथ्यों पर भी बहस हुई। कोर्ट ने सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। याची की ओर से कहा गया किए रामवृक्ष का बेटा नेपाल भाग चुका है। जो इस मामले में आरोपित है। ऐसे में सीबीआई जांच की इसका एकमात्र विकल्प बचा है।