नई दिल्ली: सरकार ने मारीशस के साथ संशोधित कर-संधि की अधिसूचना जारी कर दी है. इसके तहत भारत मारीशस के रास्ते आने वाले निवेश पर अप्रैल 2017 से पूंजीगत लाभ कर लागू करेगा ताकि इस तरह के निवेश के जरिए करापवंचन के किसी प्रकार के प्रयास को रोका जा सके.दोनों पक्षों के बीच दोहरे कर से बचाव, करापवंचन की रोकथाम और पारस्परिक निवेश के संवर्धन की संधि पर 24 अगस्त 1982 को हस्ताक्षर किए गए थे। पुरानी संधि की समीक्षा के लिए लंबी बातचीत के बाद इसमें संशोधन के समझौते पर 10 मई 2016 को पोर्ट लुई में हस्ताक्षर किए गए.संशोधित संधि के तहत 1 अप्रैल 2017 से दो वर्ष तक मारीशस से आने वाले निवेश पर भारत में लागू पंूजीगत लाभ कर के 50 प्रतिशत की दर पर कर लगाया जाएगा। उसके बाद 1 अप्रैल 2019 से ऐसे निवेश पर पूरी दर से पूंजीगत लाभ कर लगाने का प्रावधान है. रियायती दर का लाभ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा जिन्होंने मारीशस में कम से कम कुल 27 लाख रपए खर्च किया होगा और जो केवल वहां के पते पर चलने वाली कोई ‘छद्म’ कंपनी नहीं होंगी। एक अप्रैल 2017 के पहले के निवेश पर नए प्रावधान लागू नहीं होंगे. मारीशस की आबादी केवल 13 लाख है पर वह 2014-15 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :एफडीआई: का सबसे बडा स्रोत था। उस साल भारत में हुए कुल 24.7 अरब डालर निवेश का 24 प्रतिशत मारीशस से आया था.कहा जा रहा था बहुत सी भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां पुरानी संधि के उदार प्रावधानों का दुरपयोग कर रही थीं और कर से बचने के लिए निवेश को मारीशस के रास्ते दिखाती थीं। भारत 2006 से इस संधि में संशोधन के लिए जोर दे रहा था क्योंकि देश का मानना था कि वहां से भारत आने वाले धन का एक हिस्सा वास्तव में भारत का ही काल धन होता था.