लखनऊ । साल 1999-2000 में जब अखिलेश यादव राजनीति में सक्रिय हो रहे थे तब एसपी में युवाओं के संगठनों का प्रभारी बनाया गया था। उन दिनों एसपी के कार्यक्रमों में अखिलेश का नाम जनेश्वर मिश्र आगे बढ़ाया करते थे। जनेश्वर मिश्र अक्सर उन्हें टीपू सुलतान और एसपी का भविष्य बताते थे। खास बात यह थी कि मुलायम सिंह यादव तब भी अखिलेश को लेकर खामोश रहते थे। यानि अखिलेश को राजनीति में स्थापित करने की जिम्मेदारी एसपी के दूसरे बड़े नेताओं की थी।
साल 2012 – साल 2012 के विधानसभा चुनाव में एसपी को पूर्ण बहुमत मिला। विधायक दल का नेता चुनने के लिए बैठक हुई। इस बैठक में अचानक रामगोपाल यादव ने नेता के लिए अखिलेश का नाम आगे बढ़ाया। कई नेताओं ने समर्थन किया। मुलायम सिंह तब भी खामोश रहे। अखिलेश यूपी के सीएम बन गए।
देश के बड़े नेता रजत जयंती समारोह अखिलेश का हाथ उठाकर उन्हें भविष्य में पार्टी का चेहरा और आने वाले चुनाव में सीएम पद का उम्मीदवार बता रहे हैं। भीड़ अखिलेश भैया के नारे लगा रही है। मुलायम अब भी अखिलेश को लेकर खामोश हैं। वे सीएम के रूप में उनके काम की तारीफ कर रहे हैं। उन्हें चुनाव में सफल होने का आशीर्वाद दे रहे हैं, पर सीएम और पार्टी फेस पर चुप हैं। सपा के रजत जयंती समारोह के हीरो अगर कोई रहे तो वह अखिलेश यादव रहे। भले ही रजत जयंती समारोह के कर्ताधर्ता शिवपाल यादव हों, लेकिन पूरे समारोह में अखिलेश यादव छाए रहे। एक तरह से समाजवादी पार्टी के 25 साल पूरे होने पर मुलायम ने पार्टी अखिलेश के हाथों में सौंप दी। मुलायम ने रथयात्रा के दौरान अखिलेश को चुनाव में जीत का आशीर्वाद दिया तो रजत जयंती समारोह में सभी नेताओं ने उन्हें एसपी का चेहरा स्वीकार कर लिया है। समारोह में शामिल होने आए एसपी कार्यकर्ताओं और छोटे नेताओं से लेकर मंच पर बैठे बड़े नेताओं तक ने सबसे ज्यादा तवज्जो अखिलेश को दी।
रथयात्रा के बाद से मुलायम सिंह का रुख भी अखिलेश के प्रति नरम हुआ है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अखिलेश के खिलाफ टिप्पणी करना बंद कर दिया है। अखिलेश सरकार की उपलब्धियों को लेकर उनकी तारीफ भी कर रहे हैं। रजत जयंती समारोह में भी ऐसा ही देखने को मिला। शिवपाल यादव ने भी समारोह में साफ किया कि वे सीएम नहीं बनना चाहते। अखिलेश और शिवपाल के बीच विवाद में कुछ बातें स्वाभाविक रूप से अखिलेश के पक्ष में चली जाती हैं। मसलन जब अखिलेश सार्वजनिक रूप से शिवपाल के पैर छू लेते हैं तो वह चाचा के सम्मान के रूप में लिया जाता है। लेकिन यदि शिवपाल नरम होते हैं तो इसे झुकने के तौर पर देखा जाता है।
एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बड़ी सहजता से अखिलेश को पार्टी के चेहरे के रूप में स्थापित कर दिया। समाजवादी पार्टी के 25 साल मुलायम के काम और नाम पर रहे हैं और अब आगे का सफर अखिलेश के नाम और काम पर रहना है। अखिलेश ने समारोह में कहा भी कि पार्टी ने बहुत लंबा सफर तय किया है और इसे अब और आगे ले जाने की जम्मेदारी हमारी है।