बौद्ध परिपथ के हृदय स्थल पर मौजूद गुरु गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर की इन दिनों प्रदेश ही नहीं देश भर में चर्चा है। गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इस चर्चा की बड़ी वजह हैं, जो पिछले करीब दो वर्ष से बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश की कमान संभाले हुए हैं। जब सूबे का मुखिया ही शहर से हो तो यहां हो रहे विकास के कार्य की चर्चा होनी लाजिमी है। लेकिन विकास की चर्चा से पहले यहां के प्राकृतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को याद करना भी बेहद जरूरी है। आज विश्व नगर दिवस है, सो यह वह अवसर है जब हम शहर की समृद्ध विरासत को याद करें और बीते कुछ वर्षो में हुए विकास कार्यो और उसकी वजह से शहर में हुए बदलाव पर नजर डालें।
सात वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला रामगढ़ ताल यहां की प्राकृतिक तो गोरखनाथ मंदिर जैसी नाथ पंथ की अध्यात्मिक पीठ अध्यात्मिक विरासत है। विश्व भर में पुस्तकों के माध्यम से आध्यात्म की अलख जगाने वाला गीता प्रेस भी गोरखपुर में ही है। राम प्रसाद बिस्मिल व बंधु सिंह की शहादत और संत कबीर के देहत्याग की गवाह भी यही धरती है। स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल देने वाले चौरीचौरा को तो शायद ही कोई भूल सकता है। अब जब इतना कुछ है इस शहर में और प्रदेश का मुख्यमंत्री भी इसी शहर से है तो यहां की तकदीर और तस्वीर बदलने की उम्मीद तो करनी ही चाहिए।
विश्व नगर दिवस वह अवसर है जब हम इस बदलाव का पूरी ईमानदारी से मूल्याकंन करें और शहर के विकास की राह में आने वाली चुनौतियों पर मंथन करते हुए उनसे पार पाने की संभावनाएं भी तलाशें। जागरण टीम ने इस परिप्रेक्ष्य में जब बीते कुछ वर्षो में शहर में हुए बदलाव का मूल्यांकन किया तो उसे यह बदला-बदला सा नजर आया। यह बदलाव किसी एक क्षेत्र में नहीं, बल्कि चौतरफा दिखा और वह भी विकासात्मक। शहर के दायरे के साथ बुनियादी सुविधाओं का दायरा बढ़ा है तो सुरक्षा व्यवस्था भी तेजी से मजबूत हुई है। वाणिज्य और व्यापार का दायरा बढ़ा तो रहन-सहन में भी बदलाव आया है, यह कहने की जरूरत नहीं। ऊंची-ऊंची मल्टी स्टोरी बिल्डिंगें और वाहनों की बढ़ी तादाद, पहनावे में आए बदलाव से यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि अपना शहर भी मेट्रो शहर बनने की राह में तेजी से बढ़ चला है।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से शहर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया तेजी से चल पड़ी है। रामगढ़ ताल क्षेत्र में बन रहे वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स और चिड़ियाघर से इसकी नींव तैयार हो रही है। ताल पर बनी नौकायन जेटी और आसपास बन रहा रमणीक वातावरण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसी क्षेत्र में मौजूद राजकीय बौद्ध संग्रहालय और वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला पर्यटकों को लुभा रहा है। कहने का मतलब कभी डरावना सा लगना वाला यह क्षेत्र लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट बन गया है।
गोरखपुर की पहचान गोरखनाथ मंदिर की ओर पर्यटकों का ध्यान खींचने के लिए कई इंतजाम किए जा रहे हैं। फसाड लाइट से सतरंगी हो चुके मंदिर परिसर में लाइट एंड शो की शुरुआत होने जा रही है, जो निश्चित रूप से आने वाले समय में पर्यटकों को मंदिर आने के मजबूर करेगी।
बीते कुछ वर्षो में गोरखपुर में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग कल्चर तेजी विकसित हुआ है। कभी पांच मंजिल इमारत को शहर की ऊंची इमारतों में से गिना जाता था, लेकिन आज 20 मंजिली इमारतें भी शहर में देखी जा सकती हैं। स्थिति यह है कि शहर के चारो ओर आज बहुमंजिली इमारतें खड़ी हो चुकी हैं, जिसे देखकर शहर के बड़े और विकसित होने का अहसास होने लगा है।
किसी शहर के क्षेत्रफल का बड़ा होना उस शहर के बड़े होने की गवाही होता है। अपना शहर इस मानक पर खरा उतर रहा है। कभी चार से पांच किलोमीटर के रेंज में फैले गोरखपुर का दायरा बढ़ कर अब 15 किलोमीटर तक पहुंच गया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने बढ़े शहर में आवागमन की सुविधा के लिए मेट्रो रेल चलवाने का न केवल निर्णय ले लिया बल्कि इसे लेकर प्रक्रिया भी शुरू करा दी है।
शहर में स्कूलों की तेजी से बढ़ी तादाद इस बात का सबूत है कि शिक्षा को लेकर नागरिकों की जागरूकता बढ़ी है। बेहतर माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कई राष्ट्रीय ब्रांड के विद्यालयों की शाखाएं भी अब शहर में मौजूद हैं। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा के स्तर से सुधार आया है। उच्च शिक्षा की स्थिति पर अगर गौर करें तो तकनीकी शिक्षा का दायरा और स्तर दोनों बढ़ा है। मदन मोहन मालवीय इंजीनिय¨रग कालेज अब प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बन गया है तो शहर के चार और इंजीनिय¨रग कालेज विद्यार्थियों को होम टाउन में ही तकनीकी शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं।
शहर में औद्योगीकरण और व्यापार के बढ़े दायरे ने युवाओं का पलायन रोका है तो लोगों की आय भी बढ़ाई है। बीते कुछ वर्षो में गोरखपुर के औद्योगिक क्षेत्रों में कई उद्योग स्थापित हुए हैं। शहर में उद्योगों का बढ़ना यह साबित करता है कि यहां औद्योगिक विकास की राह खुल चुकी है। लंबे समय से बंद पड़े खाद कारखाने का फिर से शुरू होना भी एक बड़ी औद्योगिक उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से गोरखपुर में एम्स की नींव पड़ चुकी है। मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशियालिटी विंग भी शुरू होने जा रही है। इसके अलावा मेडिकल कालेज परिसर में 500 बेड का बच्चों का अस्पताल बनकर लगभग तैयार है। जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट शुरू होने जा रही है। वहां की सुविधाएं भी बेहतर हुई हैं। वह दिन दूर नहीं जब गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज गोरखपुर में हो सकेगा। मरीजों को इलाज के लिए बड़े शहरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।