शायद यही वजह रही कि अटल की खराब सेहत की खबर ने लखनऊ को बुधवार देर रात से ही चिंतित कर रखा था। शायद ही कोई घर या कार्यालय ऐसा रहा हो जहां अटल की सेहत जानने की जिज्ञासा न दिखी हो। लोग दिल को ढांढस देने की कोशिश कर रहे थे, पर किसी अनहोनी की आशंका सभी को परेशान किए हुए थी।
आखिर, शाम 5.05 पर वह मनहूस खबर आ गई जिसे लखनऊ वाले नहीं सुनना चाहते थे। टी.वी. स्क्रीन पर अटल की मृत्यु की खबर फ्लैश हुई, लखनऊ सन्नाटे में आ गया। लोगों के मुंह से यही निकला, ‘अलविदा अटल! हमारे लिए अमर रहोगे।’
गुलरुखों से गुलिस्तां है, कूचा हाए लखनऊ।
क्यों न दिल मानिंद बुलबुल, हो फिदा-ए लखनऊ।।
राजा नवाब अली खां की यह पंक्तियां लखनऊ के बारे में थोड़े में बहुत कुछ कह देती है। पर, बात जब अटल विहारी वाजपेयी की हो तो इन पंक्तियों का अर्थ बदल जाता है। कवि, साहित्यकार, पत्रकार, लेखक, राजनेता, कूटनीतिज्ञ और कार्यकर्ता के रूप दुनिया के पटल पर छा जाने वाले अटल वह शख्स थे जिन्होंने जन्म भले ही लखनऊ में न लिया हो लेकिन वे यहां की मिट्टी में ऐसा रचे-बसे कि जिस लखनऊ पर सब फिदा हुआ करते थे लेकिन वह शहर और इस शहर के लोग उन पर फिदा होकर रह गए।
अटल और लखनऊ वैसे ही हैं जैसे दो शरीर एक जान। लखनऊ ने उन्हें तमाम खट्टे-मीठे अनुभव कराए। हराया, छकाया और थकाने की कोशिश की। परंतु तो अटल तो अटल थे। प्रचारक, पत्रकार व पॉलिटीशियन के रूप में अटल का लोगों से परिचय कराने वाले लखनऊ ने ही उन्हें बाद में अपना सांसद चुना। सिर्फ सांसद नहीं बल्कि सबसे लोकप्रिय सांसद, जो प्रधानमंत्री बना। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनऊ को यूं ही विकास की प्रयोगशाला नहीं कहा। अटलजी ने विकास के सभी मॉडलों का लखनऊ में प्रयोग किया और यहां के बाद उन्हें देश के स्तर पर लागू किया।
‘लखनऊ मेरा घर है, मुझसे पीछा नहीं छुड़ा पाओगे’
सामुदायिक केंद्र से कन्वेंशन सेंटर
बड़े राजनेता होने के बावजूद बतौर सांसद वह अपने क्षेत्र के सरोकारों को लेकर कितने सक्रिय और सचेत थे, इसका पता उनके बतौर सांसद यहां शुरू कराए गए कामों से मिलता है। पहले उन्होंने सांसद के तौर पर यहां प्रयोग किया और फिर सफल रहने पर उसे देश भर में लागू किया। पूर्व नगर विकास मंत्री लाल जी टंडन बताते हैं, ‘एक दिन अटल जी और हम बैठे थे। उन्होंने कहा, ‘देखता हूं कि यहां मध्यम और गरीब तबके के लोगों के लिए कोई ऐसी जगह नहीं सुलभ है जहां पर वह अपने बेटे-बेटी का विवाह संस्कार कर सकें।’