लखनऊ में खून का कारोबार करने वाले एसटीएफ के हत्थे चढ़े हैं. गुरुवार देर रात एसटीएफ ने फैज़ुल्लापुर और कैंट इलाके में दबिश दी थी, जिसके बाद पांच आरोपियों को पकड़ा गया. ये आरोपी मजदूरों और रिक्शा चालकों को शिकार बनाते थे और उनका खून लेकर उन्हें एक हजार से 1200 रुपये देते थे. बताया जा रहा है कि बिना किसी मेडिकल डिग्री के कर्मचारी काम करते थे. पकड़े गए आरोपियों की निशानदेही पर एसटीएफ ने देर रात दो ब्लड बैंक पर भी छापेमारी की.

जानकारी के मुताबिक, पकड़े गए आरोपी केमिकल और पानी मिलाकर खून का काला कारोबार कर रहे थे. एसटीएफ ने गुरुवार देर रात मड़ियांव स्थित दो हॉस्पिटलों में छापा मारकर आठ यूनिट खून बरामद किया. यूपी एसटीएफ मामले की जांच कर रही है. देर रात तक एसटीएफ ब्लड बैंक के दस्तावेज और कर्मचारियों का ब्यौरा खंगाल रही थी. गिरोह का सरगना नसीम बताया जा रहा है, उसकी निशानदेही पर देर रात तक फैजुल्लागंज और कैंट में दबिश जारी थी.
एसटीएफ के मुताबिक, मड़ियांव में ये काला कारोबार काफी लंबे समय से चल रहा था, एसटीएफ ने करीब 15 दिनों तक ब्लड बैंक की रेकी की. सबूत और साक्ष्य जुटाने के बाद एसटीएफ के डिप्टी एसपी अमित नागर के नेतृत्व में देर रात तक छापेमारी जारी रही. ब्लड बैंक में किसी डॉक्टर की तैनाती नहीं थी. गिरफ्तार किए गए सभी युवक इंटर तक पढ़े हैं. ये गिरोह मजदूरों और रिक्शा चालकों से 1000-1200 में खून खरीदता था और उसमें केमिकल और पानी मिलाता था.

एसटीएफ अधिकारी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. गिरोह का सरगना नसीम बताया जा रहा है. एसटीएफ अधिकारी का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ की जा रही है कि इनके गिरोह और कितने लोग शामिल हैं और ये धंधा ये लखनऊ के अलावा कहां-कहां चलाते थे.
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