जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के 46वें चीफ जस्टिस के रूप में बुधवार को कार्यभार संभालने जा रहे हैं. वह देश के संभवतया पहले ऐसे चीफ जस्टिस होंगे जिनके पिता मुख्यमंत्री रहे हैं. उनके पिता केशब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे हैं. जब रंजन गोगोई और उनके बड़े भाई स्कूल जाने लायक हुए तो उनके पिता ने कहा कि उन दोनों में से कोई एक ही गोलपाड़ा के सैनिक स्कूल में दाखिला ले सकता है. इसके लिए सिक्का उछालकर तय किया गया कि दोनों भाइयों में से कौन सैनिक स्कूल जाएगा. नतीजा उनके बड़े भाई अंजन के पक्ष में रहा. लिहाजा अंजन आर्मी स्कूल गए और बाद में एयर मार्शल बने.
UPSC की परीक्षा पास की
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक उसके बाद रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बॉस्को स्कूल में दाखिल लिया और उसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफेंस से इतिहास में डिग्री ली. उसके बाद पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में बैठे और सफल रहे. लेकिन अपने पिता से बेहद ईमानदारी से कहा कि वह कानून की डिग्री लेकर इस दिशा में अपना करियर बनाना चाहते हैं.
18 नवंबर 1954 को जन्म हुआ. पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर के रंजन गोगोई 1978 में बार से जुड़े और गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत शुरू की. 2001 में वह स्थायी जज बने. उसके 10 साल बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बने. चीफ जस्टिस बनने के बाद वह 17 नवंबर, 2019 तक इस पद पर रहेंगे. नॉर्थ-ईस्ट से देश के चीफ जस्टिस बनने वाले वह पहले न्यायाधीश होंगे.
चुनौतियां
शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम तीन न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर, मदन बी.लोकुर व कुरियन जोसेफ के साथ न्यायमूर्ति गोगोई ने जनवरी में अप्रत्याशित रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा द्वारा न्यायाधीशों को मामलों के आवंटन पर सवाल उठाया था. चीफ जस्टिस बनने के बाद जस्टिस रंजन गोगोई के सामने अयोध्या मामले का निपटारा करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा लंबित मामलों का निपटारा भी जस्टिस गोगोई के लिए बड़ी चुनौती होगी.