1984 सिख विरोधी दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार दोषी करार दिया. हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2013 के निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है. दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर सिख समुदाय ने खुशी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट का शुक्रिया अदा किया.
शिरोमणी अकाली दल के नेता मनजिंद सिंह सिरसा ने कहा, ‘इस फैसले के लिए हम हाईकोर्ट का शुक्रिया करते हैं. सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को फांसी के फंदे तक पहुंचाने और गांधी परिवार के लोगों को अदालत जेल पहुंचाने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा.’
सिरसा ने इस फैसले के बाद कोर्ट से बाहर आए सिख समुदाय के वकील एचएस फुल्का को बधाई देते हुए गले लगाया. सिरसा इतने खुश थे कि उन्होंने फुल्का को गले लगाते हुए ही उठा लिया और जोर से उनकी पीठ थपथपाई.
उधर कोर्ट के इस फैसले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘1984 से बड़ा हत्याकांड इस देश में आजतक नहीं हुआ, कांग्रेस पार्टी ने इस केस को कवरअप करने के लिए पूरी कोशिश की. अटल जी की सरकार ने पहली बार इस मामले में कमेटी का गठन किया. मोदी जी ने SIT का गठन किया, ये बिडंबना है कि सिख दंगो में शामिल कमलनाथ को मुख्यमंत्री की शपथ दिलायी जा रही है. आप हज़ारों लोगो को मरवा दे और माफ़ी मांग ले, ऐसा कैसे हो सकता है. कांग्रेस पार्टी पर से सिख दंगों का दाग कभी नहीं हट सकता.’
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ताउम्र जेल में रहेंगे. दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार पर फैसला सुनाते हुए कहा कि सत्य की जीत होगी और न्याय होगा. दिल्ली हाईाकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आपराधिक षड्यंत्र रचने, शत्रुता को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सद्भावना के खिलाफ कृत्य करने का दोषी ठहराया.
शिरोमणी अकाली दल के नेता मनजिंद सिंह सिरसा ने कहा, ‘इस फैसले के लिए हम हाईकोर्ट का शुक्रिया करते हैं. सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को फांसी के फंदे तक पहुंचाने और गांधी परिवार के लोगों को अदालत जेल पहुंचाने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा.’
मालूम हो कि 2005 में नानावटी कमिशन की सिफारिश पर इस केस को दोबारा खोला गया था. 30 अप्रैल 2013 को जज जेआर आर्यन ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था. सिखों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मेट्रो ट्रैक जाम कर दिया था. दिल्ली के इतिहास में यह पहली घटना थी. 27 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़की थी हिंसा
वर्ष 1984 में 31 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षा कर्मियों द्वारा हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. यह मामला दिल्ली छावनी क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या से जुड़ा था. दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शिकायतकर्ता और प्रत्यक्षदर्शी जगदीश कौर केहर सिंह की पत्नी और गुरप्रीत सिंह की मां थीं. रघुविंदर, नरेंदर और कुलदीप उनके और मामले के एक अन्य गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.
#WATCH: HS Phoolka and Manjinder Singh Sirsa celebrate outside Delhi High Court. The Court today sentenced Congress leader Sajjan Kumar to life imprisonment in 1984 anti-Sikh riots case. pic.twitter.com/tpPSgjvDjO
— ANI (@ANI) December 17, 2018