टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली सिर्फ बल्लेबाज़ी ही नहीं, बल्कि फिटनेस के मामले में भी अव्वल हैं। कोहली एक ऐसे कप्तान हैं जो सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि पूरी टीम की फिटनेस का भी ख़ास ध्यान रखते हैं। विराट ऐसे खिलाड़ी हैं जिनसे भारतीय टीम के युवा खिलाड़ी हेल्दी लाइफस्टाइल की प्रेरणा लेते हैं। सिर्फ भारतीय टीम ही नहीं, कोहली पूरी दुनिया के सबसे फिट क्रिकेटर्स में से एक हैं। हालांकि, विराट को ऐसी फिटनेस यूं ही नहीं मिल गई, उन्होंने इसे पाने के लिए लगातार प्रयास के साथ कड़ी मेहनत की है। फिर चाहे सख्ती से डाइट प्लान फॉलो करना हो या फिर घंटों जिम में पसीना बहाना। विराट अपनी फिटनेस को लेकर कोई समझौता नहीं करते। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि विराट कोहली जैसी फिटनेस आप कैसे पा सकते हैं।
विराट कोहली कई बार अपनी फिटनेस के बारे में खुल कर बात कर चुके हैं। अगर आप भी विराट कोहली जैसी फिटनेस और बॉडी चाहते हैं तो हम आपको बता रहे हैं उनकी डाइट और वर्कआउट रूटीन के बारे में:
विराट ने अपने खानपान में साल 2012 के बाद बदलाव किए। असल में फॉर्म के लिहाज़ से आईपीएल 2012 विराट के लिए बेहद खराब साबित हुआ। जिसके बाद उन्होंने फिटनेस को लेकर बड़ा फैसला किया। उन्होंने ठान लिया कि कड़े वर्कआउट के साथ उन्हें खाने-पीने में भी बड़े बदलाव करने हैं। विराट कोहली को बचपन से बटर चिकन या जंक फूड का काफी शौक था। उन्होंने फौरन सब बंद कर दिया और अब वो सिर्फ घर का बना खाना खाते हैं। जिसमें हाई-प्रोटीन के लिए नॉन-वेज और कम तेल में बनी हुई सब्ज़ी शामिल होती है। विराट ने कोल्ड ड्रिेंक या सोडा पीना बिल्कुल बंद कर दिया। यहां तक कि मीठा भी खाना छोड़ दिया। विराट का मानना है कि डाइट कंट्रोल करने से उन्हें काफी फायदा मिला है।
वर्कआउट
एक इंटरव्यू के दौरान कोहली ने बताया कि अगर आपको तीनों फॉरमेट खेलने हैं तो फिटनेस बेहद ज़रूरी है वरना आप बहुत जल्दी इंजर्ड हो सकते हैं। इसलिए विराट चाहे टूर पर हों या ऑफ-टूर, वो वर्कआउट मिस नहीं करते। विराट जब क्रिकेट टूर पर नहीं होते हैं तो हफ्ते में 5 दिन दो घंटे वर्कआउट करते हैं। टूर के दौरान भी वर्कआउट के लिए टाइम ज़रूर निकालते हैं। कोहली का कहना है कि अगर आपको फिट रहना है तो आपको ‘खाना, सोना, ट्रेनिंग’ और फिर इसे हर दिन दोहराना पड़ेगा। विराट ने बताया कि क्रिकेट ऑफ सीज़न के दौरान कभी-कभी वो 4 घंटे के लिए भी ट्रेनिंग करते हैं। उनका कहना है कि ये सब आपके मेटाबॉलिज़म पर निर्भर करता है। विराट का मेटाबॉलिज़म हार्दिक पंड्या, शिखर धवन या केएल राहुल की तरह नहीं है…इन तीनों का फिज़िक लीन है,जबकि उनके साथ ऐसा नहीं है। उन्हें फिट रहने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ट्रेनिंग और मेहनत के अलावा उन्हें अपनी डाइट का भी ख़ास ख्याल रखना पड़ता है। अगर वह ऐसा न करें तो ट्रेनिंग करने का कोई फायदा नहीं मिलेगा।
वर्कआउट का प्लान
विराट के वर्कआउट रूटीन में वेट्स और कार्डियो दोनों शामिल होते हैं। विराट ने एक बातचीत के दौरान बताया था कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व फिटनेस कोच शंकर बसु ने उन्हें वेटलिफ्टिंग के बारे में बताया था। उन्होंने विराट को फोकस लोअर बॉडी पर रखने की सलाह दी। उन्होंने पैरों की पावर बढ़ाने के लिए विराट को ख़ास वर्कआउट कराया।
टेक-सेवी वर्कआउट
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली अपने वर्कआइट रूटीन में सुधार लाने के लिए ट्रेनिंग में हाईटेक गैजेट्स का भी इस्तेमाल करते हैं। उन्हें सबसे पहले ‘हाई-ऑल्टिट्यूड मास्क’ का इस्तेमाल करते देखा गया। ये ख़ास मास्क आपके वर्कआउट की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ विराट टेक्नोशेपर का भी इस्तेमाल करते हैं। टेक्नोशेपर हर उस खिलाड़ी के लिए उपयोगी है जो ट्रेनिंग के दौरान पेट के आसपास ख़ास फोकस रखना चाहते हैं। टेक्नोशेपर पेट के आसपास चर्बी को घटाने में मदद करता है।
ट्रेनिंग ने बदल दिया खेल
विराट का मानना है कि अपना लाइफस्टाइल बदलने से उनके खेल पर भी पॉज़िटिव असर पड़ा है। ख़ासकर वेटलिफ्टिंग से उनके पैर मज़बूत हुए हैं। कमाल की बल्लेबाज़ी के अलावा विराट विकेट्स के बीच में भी काफी तेज़ी से दौड़ लेते हैं। साथ ही, फील्डिंग के दौरान भी तेज़ी से दौड़ते दिखते हैं। वहीं कार्डियो ने उनका स्टैमिना बढ़ाने में मदद की है। विराट एक भी दिन वर्कआउट मिस नहीं करते। विराट का मानना है कि इससे मैदान पर खेलते वक्त उन्हें बेहतर फोकस करने में मदद मिलती है।