इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शंकरगढ़ की रानी राजेन्द्री कुमारी के पक्ष में 27 अप्रैल 1959 को शंकरगढ़ में सिलिका बालू खनन पट्टे को अवैध करार दिया है। किन्तु एक जनवरी 1952 से 31 मई 1958 के दौरान खनन पट्टे की रायल्टी मांगने के आदेश को सही नहीं माना और कहा कि राज्य सरकार 1958 के बाद खनन की रायल्टी नौ फीसदी ब्याज के साथ वसूल सकती है।
कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय के 20 जुलाई 1979 के फैसले को रद्द करते हुए शंकरगढ़ के 46 गांवों के सिलिका बालू खनन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि नियमानुसार पट्टा मिलने के बाद ही खनन की अनुमति होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति शशिकांत की खण्डपीठ ने उ.प्र.राज्य की प्रथम अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर महाधिवक्ता अशोक कुमार पाण्डेय ने बहस की।
अपील में राजेन्द्र कुमारी के सिलिका बालू खनन पर रोक लगाने की मांग की गयी थी। कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए रानी द्वारा दाखिल मूलवाद खारिज कर दिया है।
1952 से मिले खनन पट्टे के आधार पर शंकरगढ़ के 46 गांवांे में खनन जारी था। कोर्ट के अन्तरिम आदेश से जारी खनन रोक दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने सरकार को रानी से ब्याज सहित 1959 से अब तक रायल्टी वसूलने का निर्देश दिया है। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को करोड़ों रूपये की रायल्टी का फायदा होगा और नये सिरे से खनन पट्टा देने का रास्ता साफ हो गया है।