मेक इन इंडिया (Made In India) प्रोजेक्ट के तहत बनी शारंग (Sharang Cannon) और धनुष तोप (Dhanush Cannon) ने दुनिया में भारत का डंका बजा दिया। सेना के बेड़े में शामिल होते ही शारंग तोप से परीक्षण के दौरान बीस गोले एक साथ दागे गए तो कई देशों ने इसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। वहीं, धनुष से प्रभावित होकर बीएई सिस्टम ने फील्डगन फैक्ट्री को बैरल का ऑर्डर दिया है। इसकी कंपनी ने 80 के दशक में भारत को बोफोर्स तोप निर्यात की थी।
आयुध निर्माणी बोर्ड की आयुध निर्माणी कानपुर (ओएफसी) और फील्डगन फैक्ट्री (एफजीके) ने 155 मिमी/45 कैलिबर अपगनिंग ‘शारंग’ तोप विकसित की है। 25 अक्टूबर 2018 को नई दिल्ली में 300 तोप के लिए रक्षा मंत्रालय और आयुध निर्माणी बोर्ड के बीच करार हुआ। सोमवार को फील्डगन फैक्ट्री में आयोजित प्रेसवार्ता में महाप्रबंधक शैलेंद्र नाथ ने बताया कि पहली तोप सेना के पास पहुंच चुकी है।
सेना ने 17 जनवरी 2019 को बालासोर में परीक्षण के दौरान बीस गोले शारंग से दागे। अचूक निशाना रहा, सभी गोले लक्ष्य के दस मीटर दायरे में ही गिरे। इसका संदेश अन्य देशों तक भी पहुंचा है। जिसके बाद से ही अफ्रीकी देशों ने शारंग के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी है, जिससे इशारा मिल चुका है कि भविष्य में बड़े निर्यात ऑर्डर बोर्ड को मिल सकते हैं।
2016 में धनुष तोप सेना को समर्पित
अपर महाप्रबंधक दिनेश सिंह ने बताया कि अगस्त 2016 में धनुष तोप सेना को समर्पित कर दी गई थी। उसकी गुणवत्ता ने भी अन्य देशों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि विदेशी कंपनी बीएई सिस्टम की कई देशों में इकाइयां हैं। भारत ने 80 के दशक में इसी कंपनी से बोफोर्स तोप आयात की थी। अब स्थिति यह आ चुकी है कि बीएई सिस्टम कंपनी ने 52 कैलिबर की चार बैरल का ऑर्डर फील्डगन फैक्ट्री को दिया है।
एसपी गन की भी तैयारी
महाप्रबंधक ने बताया कि भारत अभी सेल्फ प्रोपेल्ड (एसपी) गन दक्षिण कोरिया से आयात कर रहा है। भारत में फिलहाल उसकी असेंबलिंग शुरू हुई है। फील्डगन फैक्ट्री ने एसपी गन के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर काम शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि अगली बार टेंडर होगा तो विदेशी कंपनियों को मात देकर स्वदेशी गन बनाई जाएगी।
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