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शुरू हो सकता है फिर से राम मंदिर आंदोलनः VHP ने 5 अक्टूबर को36 संतों की बैठक बुलाई

शुरू हो सकता है फिर से राम मंदिर आंदोलनः VHP ने 5 अक्टूबर को36 संतों की बैठक बुलाई

अयोध्या में राम मंदिर को लेकर बड़ी खबर आई है. राममंदिर आंदोलन अक्टूबर महीने से फिर शुरू हो सकता है. विश्व हिंदू परिषद ने 5 अक्टूबर को 36 संतों की बैठक बुलाई है. इसके लिए संतो की समिति 5 अक्टूबर को राममंदिर निर्माण के लिए कार सेवा का एलान कर सकती है. विश्व हिंदू परिषद ने 5 अक्टूबर को संतो की उच्चाधिकार समिति की बैठक बुलाई है, संतो की इस समिति में देश भर के 36 प्रमुख संतो को आमंत्रित किया गया है.

इस समिति के प्रमुख राम मंदिर आंदोलन के मुख्य महंत नृत्य गोपाल दास है, सूत्रों के मुताबिक संतो की बैठक के लिए विश्व हिंदू परिषद ने सभी संतो को पत्र जारी किया है और राम मंदिर निर्माण के लिए निर्णय लेने के लिए बैठक का न्योता भेजा है. बैठक दिल्ली में होगी. सूत्रों के मुताबिक संतों की इस बैठक में राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन करने का फैसला लिया जाएगा. आंदोलन के लिए देश भर से हिंदुओ को कार सेवा कर राम मंदिर निर्माण के लिए भाग लेने का आग्रह किया जाएगा.

राम मंदिर पर वीएचपी के सुरेंद्र जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कब तक इंतजार किया जा सकता है. जब इस विषय पर इतना विलंब हो चुका है तो हमने इस आंदोलन के लिए हमारी आगे की क्या नीति हो इसके लिए संतों की बैठक 5 अक्टूबर को बुलाई है. जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस फैसले को लेकर इतनी देरी की जा चुकी है तो हमने इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाने का फैसला किया है.

2 दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया था कि इस विषय पर अध्यादेश लाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा था कि राम जन्मभूमि पर राम मंदिर जल्दी बनना चाहिए. इस मामले को और लटकाया नहीं जाना चाहिेए.

इससे पहले 16 सितंबर को राम जन्म भूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ राम विलास वेदांती ने दावा किया था कि अयोध्या विवाद के पक्षकारों ने मंदिर विवाद को आपसी समझौते से हल करने का फार्मूला आपसी सहमति से निकाल लिया है. वेदांती ने दावा किया कि कुछ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन की मध्यस्थता से आपसी सहमति बन गई है. इसके तहत लखनऊ में दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद बनाई जाएगी, जबकि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनेगा. उन्होंने यह भी दावा किया कि मस्जिद बाबर के नाम पर नहीं होगी.

राम विलास वेदांती ने इलाहाबाद में मिशन मोदी अगेंस्ट पीएम कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यह कहा था कि दो अक्टूबर से पहले सुप्रीम कोर्ट में आउट ऑफ कोर्ट सेटेलमेंट होने का हलफनामा दाखिल कर इस पर अदालत की मुहर भी लगवा ली जाएगी.

क्या है राम मंदिर विवाद?

बता दें कि राम मंदिर का मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है. साल 1989 में राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद का ये मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था. 30 सितंबर 2010 को जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया. फैसला हुआ कि 2.77 एकड़ विवादित भूमि के तीन बराबर हिस्से किए जाएं. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को दिया गया. राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को दिया गया और बाकी बचा हुआ तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी स्थिति बरकरार रखने का आदेश दे दिया, तब से यथास्थिति बरकरार है.

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मोहन भागवत का बड़ा बयान- ‘अयोध्या में जल्द बनना चाहिए राम मंदिर’

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