1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व सांसद सज्जन कुमार ने बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सज्जन कुमार ने याचिका में मांग की है कि उन्हें सरेंडर करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाए।
वहीं, सजा पाए सज्जन कुमार द्वारा राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में संभावित अपील के मद्देनजर एक गवाह ने अभी से ही कोर्ट का रुख कर दिया है। इस गवाह ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर मांग की है कि किसी भी सुनवाई से पहले उनका पक्ष सुना जाए।
यहां पर बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (17 दिसंबर) को कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया गया था। सज्जन को आपराधिक साजिश और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया था, जबकि इससे पहले निचली अदालत ने 30 अप्रैल 2013 को उन्हें बरी कर दिया था।
हाईकोर्ट ने सज्जन के अलावा तीन अन्य दोषियों- कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और कांग्रेस के पार्षद बलवान खोखर की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। बाकी दो दोषियों- पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा तीन साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी।
सज्जन को गवाह ने पहचान लिया था
इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट में मामले की एक गवाह चाम कौर ने सज्जन को पहचान लिया था। चाम ने बयान दिया था- घटनास्थल पर मौजूद सज्जन ने वहां मौजूद दंगाइयों से कहा था कि सिखों ने हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना। भीड़ ने उकसावे में आकर मेरे बेटे और पिता की हत्या करवाई।
5 सिखों की हत्या के मामले में हुई सजा
बता दें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे फैले थे। इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या हुई थी। इस मामले में केहर सिंह की विधवा और गुरप्रीत सिंह की मां जगदीश कौर ने शिकायत दर्ज कराई थी।