नई दिल्ली। सांख्यिकी मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि के बारे में यथोचित रुप से उपयुक्त अग्रिम अनुमान नहीं दे पाएगा क्योंकि उसके पास रबी फसल तथा नोटबंदी के प्रभाव के संदर्भ में पर्याप्त आंकडा नहीं होगा।
पूर्व सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने कहा, ‘‘यह ज्यादा अनुमान कार्य होगा क्योंकि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पास रबी फसल तथा दिसंबर के लिये औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) सूचकांक का आंकडा का पहला अग्रिम अनुमान नहीं होगा जिससे नोटबंदी के प्रभाव के बारे में जाना जा सके।
” इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आपके पास नवंबर आईआईपी आंकडा होगा जो नोटबंदी के प्रभाव को प्रतिबिंबित नहीं करेगा।
सीएसओ से आंकडों की अपेक्षा होती है। पूरे वित्त वर्ष के लिये जीडीपी का अग्रिम अनुमान में सरकार की 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही में नीतियों के प्रभाव नहीं होगा।
” उनका मानना था कि यह अग्रिम जीडीपी अनुमान के लिये वित्त वर्ष कठिन साल है। इसका कारण नीति में बडा बदलाव है और कोई नहीं जानता कि इसका शेष दो तिमाही पर क्या प्रभाव पडेगा।
सांख्यिकी मंत्रालय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अग्रिम अनुमान छह जनवरी को जारी करेगा क्योंकि आम बजट इस साल 28 फरवरी के बजाए एक फरवरी को पेश किया जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जीडीपी वृद्धि का अग्रिम अनुमान छह जनवरी को पेश किया जाएगा। इसे करीब एक महीने पहले पेश किया जा रहा है क्योंकि सरकार आम बजट संसद में पारित कराने की प्रक्रिया 30 मार्च से पहले पूरा करना चाहती है।
” अधिकारी ने कहा कि हालांकि बजट पेश किये जाने की तारीख अभी तय नहीं है लेकिन इसे एक फरवरी 2016 को पेश किया जा सकता है।उसने कहा कि जीडीपी का अग्रिम अनुमान वित्त मंत्रालय के लिये आम बजट तैयार करने के लिये जरुरी है।