अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने सत्तारूढ़ भाजपा पर राम मंदिर मामले में हिंदुओं से वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। इसके साथ ही वादा किया है कि उनकी नयी पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में सत्ता में आने के हफ्ते भर के भीतर अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण शुरू करा देगी। तोगड़िया ने मंगलवार को इंदौर प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, “ग्राम पंचायत स्तर से केंद्र सरकार तक सत्ता हासिल करने के बावजूद भाजपा ने पिछले पांच वर्षों के दौरान अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं कराया। हिंदुओं से बरसों पहले किया गया राम मंदिर का वादा निभाने में भाजपा नाकाम रही है।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस तो राम मंदिर बनवाने वाली नहीं है। लेकिन हमारी नयी पार्टी सत्ता में आने पर एक हफ्ते के भीतर अध्यादेश लाकर राम मंदिर का निर्माण शुरू करा देगी। हम इनकी (भाजपा) तरह हिंदुओं को झुनझुना नहीं थमायेंगे।” अपनी नयी पार्टी के नाम का फिलहाल खुलासा करने से बचते हुए तोगड़िया ने कहा, “हमारी पार्टी पंजीकृत हो चुकी है। हम दिल्ली में नौ फरवरी को इसके गठन की औपचारिक घोषणा करेंगे। हम लगभग सभी 543 सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।”
उन्होंने अपनी नयी पार्टी के चुनावी वादे गिनाते हुए बताया कि यह दल केंद्र की सत्ता में आने पर किसी एक परिवार द्वारा दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर “प्रतिबंध” लगा देगा, ताकि देश की बढ़ती आबादी पर काबू पाया जा सके। 62 वर्षीय हिन्दू नेता ने कहा, “अगर किसी परिवार के दो से ज्यादा बच्चे होंगे, तो उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों की सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं दिया जायेगा। बड़े होने पर ऐसे बच्चों को न तो कोई सरकारी नौकरी मिल सकेगी, न ही वे कहीं से चुनाव लड़ सकेंगे।”
विश्व हिंदू परिषद से अपनी राहें अलग करने के बाद अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद बनाने वाले तोगड़िया ने एक सवाल पर कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला बहुत देर से किया और इसके पीछे भाजपा का निहित चुनावी स्वार्थ है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर उठे ताजा सवालों के बीच उन्होंने मांग की है कि देश में ईवीएम का प्रयोग बंद होना चाहिये और मतपत्रों की पुरानी व्यवस्था के मुताबिक चुनाव कराये जाने चाहिये। तोगड़िया ने कहा, “ईवीएम को हैक किये जाने की तमाम संभावनाएं हैं। इस कारण दुनिया के कई बड़े देश ईवीएम को अस्वीकार कर चुके हैं।”