नई दिल्ली। सांसदों के वेतन बढ़ाने के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने हाथ मिला लिया है। दोनों दलों ने मिलकर मंगलवार को राज्यसभा में वेतन बढ़ाने का मुद्दा उठाया। इस पर अन्य दूसरे दलों ने भी इनका सहयोग किया। सांसदों की एक समिति द्वारा नए वेतनमान की सिफारिश करने के बाद मंत्रियों के एक समूह ने इसे मंजूरी देकर कैबिनेट को सौंप दिया है और अब इस पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेंगे। अगर प्रधानमंत्री मोदी नई सिफारिशों पर अपनी सहमति जता देते हैंए तो इसे संसद के इसी सत्र में मंजूरी मिल जाने की संभावना है। नया वेतनमान 1 अप्रैल से लागू होगा। नई सिफारिशों के बाद सांसदों की तनख्वाह दोगुनी होकर एक लाख रुपये प्रति माह हो जाएगी। बढ़ी हुई तनख्वाह के अनुरूप ही भत्तों में भी बढ़ोतरी होगी। सांसदों के अपने संसदीय क्षेत्र के लिए यात्रा भत्ते और अन्य रकम भी बढ़कर 90,000 रुपये महीने हो जाएंगे। साथ ही ऑफिस स्टाफ के लिए उन्हें मिलने वाले पैसे भी दोगुने हो जाएंगे। कुछ हफ्ते पहले ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद अधिकतर सांसद अपना वेतन बढ़ा जाने के पक्ष में हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद जगदंबिका पाल का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ा दिया गया है इसलिए सांसदों की तनख्वाह भी बढ़नी चाहिए। वहीं तेलुगु देशम पार्टी के केआर नायडू का तर्क है कि समुचित वेतन से भ्रष्टाचार खत्म होगा।