नई दिल्ली। उरी हमले के बाद भारत अब पाक को आड़े हाथ लेने के लिए तैयार में है। भारत अपने पड़ोसी देश से सिन्धु जल संधि को तोड़ने की मंशा बना बैठा है। इसके संकेत गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने अपने भाषण में दिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि ”किसी भी समझौते के दो देशों में आपसी भरोसा और सहयोग होना जरूरी है। यह एकतरफा नहीं हो सकता।”
इनके हस्ताक्षर के बाद हुआ था सिंधु जल समझौता –
आपको बता दें 1960 में भारत के प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु और पाकिस्तान के एक राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के हस्ताक्षर के बाद यह संधि हुई थी । सिंधु नदी संधि कोआधुनिक विश्व के इतिहास का सबसे उदार जल बंटवारा माना जाता है। इसके तहत पाकिस्तान को 80.52 फीसदी पानी यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना दिया जाता है। नदी की ऊपरी धारा के बंटवारे में उदारता की ऐसी मिसाल दुनिया में और किसी जल समझौते में नहीं मिलती। इस सिंधु समझौते के तहत उत्तर और दक्षिण को बांटने वाली एक रेखा तय की गई है, जिसके तहत सिंधु क्षेत्र में आने वाली तीन नदियों का नियंत्रण भारत और तीन का पाकिस्तान को दिया गया है।