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सिद्धू की करतारपुर कॉरिडोर पर नई राजनीति

करतारपुर साहिब कॉरिडोर को लेकर नई राजनीति शुरू‍ हो गई। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए नवजोत सिद्धू को एक बार फिर पाकिस्तान से न्योता आया है। यह न्योता 28 नवंबर को पाकिस्तान के हिस्से में पड़ते गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लिए कारीडोर बनाने के नींव पत्थर समारोह में शामिल होने का है। यह नींव पत्थर इमरान खान रखेंगे। सिद्धू ने भी इस समारोह में शामिल होने के लिए विदेश मंत्रालय से वीजा मांगा है।

गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर करतारपुर कााॅरिडोर के निर्माण को लेकर भारत और पाकिस्तान में सहमति बनी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय हिस्से में काॅरिडोर बनाने की घोषणा की है। भारतीय क्षेत्र में 26 नवंबर को कॉरिडोर का शिलान्‍यास हाेगा। वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 28 नवंबर को पाकिस्तानी हिस्से में काॅरिडोर बनाने का नींव पत्थर रखेंगे। इस समारोह के लिए पाकिस्तान ने नवजोत सिंह सिद्धू को न्योता दिया है।

सिद्धू ने बताया, पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी का उन्हें 28 नवंबर के समारोह में शामिल होने के लिए न्योता दिया है। यह एक औपचारिक न्योता है। अधिकारी आमंत्रण भी आ जाएगा। सिद्धू का कहना है कि अगर कोई मान सम्मान से बुलाता है तो मैं उसका सम्मान करता हूं। चूंकि करतारपुर कारीडोर को लेकर दोनों देशों की सरकार ने बेहद सकारात्मक रवैया अपनाया है। यह न सिर्फ सिख धर्म बल्कि दोनों देशों के रिश्तें के लिए भी अच्छा है।

 तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव कंपेन कर रहे सिद्धू से जब पूछा गया कि वह कंपेन को बीच में छोड़ कर जाएंगे तो उनका कहना था कि चुनाव प्रचार का पड़ाव 26 नवंबर को खत्म हो जाएगा। अगला शिड्यूल 29 को जारी होगा। अत: चुनाव प्रचार से हटने जैसी कोई बात नहीं होगी। वहीं, सिद्धू ने पाकिस्तान जाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने सरलता से वीजा देने की मांग की है। इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू को इमरान खान ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था।

सिद्धू के पाक सेना प्रधान से गले मिलने पर हुआ था भारी विवाद

बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू पिछले दिनों पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए थे और वहां वह पाकिस्‍तान के सेना अध्‍यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिले थे। इस पर भारत में काफी विवाद हुआ था और नवजोत सिंह सिद्धू निशाने पर आ गए थे। इसके बाद सिद्धू ने सफाई देते हुए कहा, पाकिस्‍तान के सेना अध्‍यक्ष ने उनसे कहा था कि गुरु नानकदेव के 550वें प्रकाशोत्‍सव पर पाक श्री करतारपुर साहिब मार्ग खोलने पर विचार कर रहा है। यह सुनकर मैंने खुशी में पाक सेना प्रधान को गले से लगा लिया।

यह है श्री करतापुर साहिब गुरुद्वारे का महत्‍व

श्री करतापुर साहिब गुरुद्वारे को पहला गुरुद्वारा माना जाता है जिसकी नींव श्री गुरु नानक देव जी ने रखी थी। उन्होंने यहां से लंगर प्रथा की शुरुआत की थी। यह स्थल पाकिस्तान में भारतीय सीमा से करीब चार किलोमीटर दूर है और अभी पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक बार्डर आउटपोस्ट से दूरबीन से भारतीय श्रद्धालु इस गुरुद्वारे के दर्शन करते हैैं। श्री गुरुनानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व 2019 में वहां मनाया जाना है और इस अवसर पर सिख समुदाय इस कॉरिडोर को खोलने की मांग जोर शोर से कर रहा है।

गुरु नानक देव ने करतारपुर में गुजारे 15 साल, यहीं ली अंतिम सांस

सिखों के पहले गुरु श्री नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 15 साल करतारपुर की धरती पर ही गुजारे थे। यहां खुद खेती करके उन्होंने समाज को ‘किरत करो, वंड छको और नाम जपो’ का संदेश दिया था। यहीं उन्होंने अपना शरीर भी छोड़ा था। यह गुरुद्वारा पटियाला स्टेट के महाराजा भूपेंद्र सिंह ने 1947 में बनवाया था। अभी यह गुरुद्वारा निर्माणाधीन ही था कि भारत पाक विभाजन हो गया।

पहले भी हुए थे प्रयास

इससे पहले भी करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाने के प्रयास शुरू हुए थे। जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान की तरफ 1.5 किलोमीटर कॉरिडोर बनाने को सहमति दी थी, लेकिन ये प्रयास सिरे नहीं चढ़ सके।

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