सिनेमाहॉलों में खाने-पीने के सामान बाहर से ले जाने पर कोई रोक नहीं है। कतई जरूरी नहीं कि आप सिनेमाहॉल परिसर के स्टाल से ही सामान खरीदें। सूचना का अधिकार के तहत दी गई जानकारी में कमिश्नर, वाणिज्य कर, उत्तर प्रदेश ने बताया है कि सिनेमाहॉल/ मल्टीप्लेक्स संचालकों को ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है, जिससे कि वह बाहर से खरीदे हुए खाने-पीने के सामान के प्रयोग पर रोक लगा सकें।
यही नहीं चलचित्र नियमावली, 1951 के अंतर्गत दिए लाने वाले लाइसेंस की शर्त में यह भी प्राविधान है कि प्रेक्षागृह के भीतर चाय, कॉफी, दूध, शीतल पेय, या ऐसी कोई भी खाद्य सामग्री, जो मुहर बंद पैकेट में न हो, का विक्रय करने की अनुमति नहीं होगी।
सिनेमाहाल में बाहर से सामान को लाने पर करते हैं मनाही
आमतौर पर दर्शकों को सिनेमाहॉल/मल्टीप्लेक्स के भीतर बाहर से खरीदे हुए खाने-पीने के सामान को सुरक्षा जांच के नाम पर नहीं ले जाने दिया जाता है। मजबूरी में लोगों को परिसर के भीतर के स्टॉल से ही सामान खरीदना होता है। यहां सामान, खुले बाजार की अपेक्षा ऊंची कीमत पर मिलता है। गोरखपुर के आरटीआइ कार्यकर्ता आनंद रुंगटा ने इस बाबत वाणिज्य कर विभाग से आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी थी। कमिश्नर वाणिज्य कर कार्यालय, उत्तर प्रदेश ने जवाब में यह भी स्पष्ट किया कि बाहर से खरीदे हुए वही सामान प्रेक्षागृह के भीतर ले जा सकते हैं, जो सीलबंद पैकेट या बोतल में हो।
प्राय: सिनेमाहॉलों में खाद्य पदार्थ खुले में मिलते हैं। इन पर एमआरपी भी छपी नहीं होती। उत्तर प्रदेश सिनेमेटोग्राफी (26वां संशोधन) नियमावली 2018 के अनुसार भी सिनेमाहॉल मालिक मुहरबंद पैकेटों में ही सामान बेच सकते हैं। एक अन्य आरटीआइ के जवाब में ज्वाइंट कमिश्नर जीएसटी मुख्यालय, लखनऊ ने बताया है कि सिनेमाहॉल के भीतर खाद्य सामग्री बेचते हुए बिल देना एवं नियमानुसार जीएसटी पंजीयन कराना अनिवार्य है।
कमाई का असल जरिया है खान-पान
सिनेमाहॉल परिसर की कैंटीन से सामान खरीदने पर जोर देने के पीछे दरअसल कमाई का खेल है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते वर्ष जुलाई से सितंबर की अवधि में देश के दो बड़े मल्टीप्लेक्स चेन ने फूड एवं वेबरिजेस श्रेणी में क्रमश: 25 और 42 फीसद की बढ़त दर्ज की, यह पिछले नौ माह में सर्वाधिक बढ़त थी। विशेषज्ञों के मुताबिक बॉक्स ऑफिस से होने वाली कमाई पर निर्भर रहने में जोखिम को देखते हुए सिनेमाहॉल फूड एंड वेबरिजेस को आय के अतिरिक्त और मजबूत स्रोत के रूप में विकसित करने पर फोकस कर रही हैं।
बीते वर्ष बांबे हाइकोर्ट ने तो सिनेमाहॉल के भीतर इंटरवल में टिफिन ले जाने की भी अनुमति दी थी। हालांकि बाद में इस आदेश को चैलेंज किया गया था, जिस पर सुनवाई होनी शेष है।
नियम पालन करना जरूरी
आरटीआइ कार्यकर्ता आनंद रुंगटा का कहना है कि खाने-पीने के सामान बाहर से ले जाने पर रोक का नियम नहीं है। लोगों को इस संबंध में जागरुक होना चाहिए। सामान लेते समय बिल जरूर लें। सिनेमाहॉल संचालकों को भी इन नियमों का पालन करना चाहिए।