नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा. याचिका मायावती की पार्टी बीएसपी की तरफ से दायर की गई है. मामले की अगली सुनवाई 8 मई को होगी.
बीएसपी ने भविष्य में बैलेट पेपर से चुनाव कराने या ईवीएम में VVPAT का इस्तेमाल अनिवार्य करने की मांग की है. पार्टी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने ये साफ किया कि वो यूपी/उत्तराखंड में दोबारा मतदान की मांग पर जोर नहीं देना चाहते.
बीएसपी के साथ इस मसले पर आज समाजवादी पार्टी नेता अताउर रहमान की भी याचिका सुनी गई. सपा नेता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. इसके अलावा, आज कांग्रेस और टीएमसी ने भी पक्ष बनने की अर्ज़ी लगाई.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कई तीखे सवाल किए. जस्टिस जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा, “आपको ईवीएम से क्या दिक्कत है? आप जो कह रहे हैं, उसका आधार क्या है?”
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि दुनिया के ज़्यादातर विकसित देशों में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता. इस सिस्टम में गड़बड़ी की आशंका है. कोर्ट ने वोटिंग के बाद मशीन से पर्ची निकलने की व्यवस्था बनाने को कहा था. उस दिशा में भी ज़्यादा काम नहीं हुआ है.
इस पर बेंच ने सिब्बल से पूछा, “क्या ईवीएम सिस्टम उसी पार्टी की सरकार ने लागू नहीं किया जिसके आप सदस्य हैं?” बेंच ने आगे कहा, “हमें इस बात में दिलचस्पी नहीं है कि कौन से देश इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल करते हैं और कौन नहीं. ईवीएम से चुनाव प्रणाली की बहुत सी बुराइयां दूर हुई हैं.”
जजों ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां किसी सिस्टम की शिकायत कर सकती हैं. लेकिन कोर्ट उनकी शिकायत से ज़्यादा तरजीह इस बात को देगा कि तकनीकी विशेषज्ञ इस मसले पर क्या राय रखते हैं.
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