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हरमन ने हॉकी को बल्ला बनाकर परवान चढ़ाया क्रिकेट का शौक

कप्तान हरमनप्रीत ने 51 गेंद में नाबाद 103 रन की पारी खेली जिससे भारत ने वेस्टइंडीज में चल रहे आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के अपने पहले मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ 34 रन की आसान जीत दर्ज की। पंजाब के मोगा जिले की रहने वालीं भारतीय महिला क्रिकेटर की युवा स्टार की गिनती आज विश्व महिला क्रिकेट के धुरंधरों में होती है।

बचपन में जब हरमन से पूछा जाता था कि क्या बनना चाहती हो तो वह तपाक से कहती थीं क्रिकेटर जबकि उनको यह नहीं पता था कि यह सपना कैसे पूरा होगा। भाई गुरजिंदर और उनके दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने की शुरुआत हुई। पंजाब शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल कॉलेज में खेलों के लिए विशेष प्रोजेक्ट था लेकिन क्रिकेट उसका हिस्सा नहीं था।

हरमनप्रीत के पिता चाहते थे कि बेटी हॉकी खिलाड़ी बने लेकिन उन पर तो क्रिकेटर बनने की धुन सवार थी। चुन्नी को कमर पर बांध लेती थीं और हॉकी को बल्ला बनाकर क्रिकेट के शॉट खेलती थी। हरमन भारतीय पुरुष टीम के विस्फोटक बल्लेबाज सहवाग के खेल को पसंद करती थीं। भाई और उनके दोस्त मजाक उड़ाते थे हमारे पास तो स्कोप है पर तू क्या सहवाग के साथ ओपन करेगी। हरमन 2006 में अपने मोगा जिले के दारापुर गांव स्थित ज्ञान ज्योति स्कूल में पड़ने के लिए गई जहां क्रिकेट अकादमी थी। यही से शौक परवान चढ़ गया।

भारतीय महिला टी-20 टीम की कप्तान और वनडे टीम की उपकप्तान बिग बैश लीग में खेलती हैं। वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में 171* रन की पारी खेली थी। वर्ल्ड टी-20 में शुक्रवार को अपने ऐतिहासिक शतक में उन्होंने आठ छक्के मारे जोकि भारत की ओर से रिकॉर्ड है। बड़े शॉट खेलने का अभ्यास हरमन को बचपन से ही है। शुरुआत में कोच अभ्यास के समय लक्ष्य देते थे कि तुम आधी से ज्यादा गेंदों को मैदान में बाउंड्री पर लगे पेड़ के पार पहुंचाना है नहीं तो देर शाम तक ज्यादा अभ्यास करना पड़ेगा और सौ बाउंड्री लगाने पड़ेंगी लेकिन यह आक्रामकबल्लेबाज को याद नहीं कि कभी उन्हें इस कारण ज्यादा देर अभ्यास के लिए रुकना पड़ा।

पचपन साल के हरमंदर सिंह भुल्लर मोगा नौकरी करते हैं लेकिन उससे घर का गुजारा चलना मुश्किल था। हरनम की एक बहन और एक भाई और है। भुल्लर परिवार ने चार भैंस पाल रखी थी और दूध बेचकर घर का खर्च निकाला जाता था। उस समय हरमन को पिता महंगा बल्ला नहीं दिला पाते थे। सस्ते से सस्ता बल्ला दिलाया जाता था। हरमन के स्कूल में क्त्रिस्केट अकादमी से जुड़े कमलधीश सोढ़ी का बड़ा योगदान था। हरमंदर खुद बॉस्केटबॉल और हैंडबॉल के राज्य स्तरीय खिलाड़ी रहे हैं बेटी और बेटे में कभी फर्क नहीं किया। वो चाहते थे हरमन खिलाड़ी बने हालांकि पड़ासी मजाक उड़ाते थे लड़की को खिलाड़ी बनाकर क्या करोगे। मगर हरमंदर ने कभी इसकी परवाह नहीं की।

भुल्लर परिवार पहले छोटे से मकान में रहता था। बेटी क्रिकेटर बन गई तो पिता को लगा कि अब घर थोड़ा बड़ा होना चाहिए। हाउसलोन लेने की सोची हरमन को पता लगा तो पिता को रोक लिया। वो नहीं चाहती थी कि कर्ज लेने के कारण परिवार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़े। हरमन जब इस लायक हो गई तो सबसे पहले पापा के लिए उनके सपनों का घर खरीदा।

हरमन के घर में एक तस्वीरों का कोलॉज लगा है जिसमें उसकी वो तस्वीर भी है जो उसने 2006-07 में पहली बार स्कूल नेशनल में जीती ट्रॉफी के साथ खिंचाई थी। उसमें वह एक स्पोर्ट्स शूज के साथ दिखाई देती हैं जो उनकी दोस्त हरतेज सिंह सोढी के बड़े भाई और उनके पहले कोच यादविंदर सिंह सोढी ने उन्हें दिए थे। अब यादविंदर ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में क्रिकेट कोच हैं। हरमन को याद है शुरुआत में उन्हें बहुत हल्के और पुराने बल्लों से अभ्यास करने का मौका मिलता था।

हरमन का जन्म 8 मार्च 1989 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हुआ था। पहले दिन के बच्चे के लिए पिता हरमंदर सिंह भुल्लर जो शर्ट लेकर आए थे वो कुछ ज्यादा बड़ी थी। दरअसल सबसे छोटी शर्ट ही वो मिली थी जिस पर क्रिकेट की तस्वीर थी। पिता हरमंदर और मां सतविंदर को नहीं पता था कि इस बड़ी शर्ट में क्रिकेटर हरमन के भविष्य की तस्वीर छिपी थी। वो शर्ट आज भी परिवार के पास सुरक्षित है।

2009 मार्च में पाक के खिलाफ किया वनडे करियर का आगाज
171*: रन की पारी खेली थी वनडे विश्व कप सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ
103 : रन बनाए वर्ल्ड टी 20 के पहले मुकाबले में न्यूजीलैंड के खिलाफ
2012 : में टी-20 टीम की कमान संभाली और तेइस वर्ष में भारत की सबसे युवा कप्तान बनीं
01 पहली भारतीय महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने टी20 क्त्रिस्केट में विदेशी क्लब से करार किया
2017 जनवरी में वर्ल्ड बिग बैश लीग में टूर्नामेंट की श्रेष्ठ खिलाड़ी चुनी गईं

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