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सूरमा को साइन करने की वजह सूरमा साइन करने से पहले दिलजीत संदीप सिंह के बारे में कितना जानते थे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'सिर्फ इतना कि वह हॉकी के कप्तान रह चुके हैं. मैंने उनके बारे में ज्यादा सुना या पढ़ा नहीं था, लेकिन फिल्म साइन करने के बाद रोजाना उनसे मिलकर उन्हें जान रहा हूं.' दिलजीत ने कहा कि उन्होंने फिल्म के लिए खासा मेहनत की है और रोजाना संदीप से बात कर वह हॉकी से जुड़ी कई चीजों को जान पाए हैं. बता दें हॉकी सीखने के लिए एक महीने तक संदीप सर के साथ प्रैक्टिस की. शूटिंग के दौरान रोजाना ही हॉकी खेलते थे.' दिलजीत ने कहा कि फिल्मों से अवेयरनेस बढ़ती है. हमें अपने खिलाड़ियों को सपोर्ट करना चाहिए. लोगों को स्टेडियम में जाकर मैच देखने चाहिए और टीम की हौसलाआफजाई करनी चाहिए, इससे खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ता है.यह हमारी कमी है कि हम हॉकी को उतना प्रमोट नहीं कर पाए, जिसकी वह हकदार थी. देश में आज क्रिकेट का जो मुकाम है, वह हॉकी को भी मिलना चाहिए था. दुनिया के 12 से 13 मुल्क क्रिकेट खेलते हैं, लेकिन हॉकी 180 मुल्कों में खेला जाता है. पता नहीं हमारी कमी कहां रह गई.

हॉकी नहीं है राष्ट्रीय खेल, ओडिशा CM के ट्वीट से पता चला: दिलजीत

अपकमिंग फिल्म ‘सूरमा’ में सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ हॉकी कप्तान संदीप सिंह का किरदार अदा कर रहे हैं. दिलजीत ने अपनी इस फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्हें यह जानकर हैरत हुई कि हॉकी को देश के राष्ट्रीय खेल के तौर पर आधिकारिक रूप से सम्मान नहीं मिला है और इस बारे में हमें बचपन से स्कूलों में गलत सिखाया जाता रहा है.सूरमा को साइन करने की वजह  सूरमा साइन करने से पहले दिलजीत संदीप सिंह के बारे में कितना जानते थे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'सिर्फ इतना कि वह हॉकी के कप्तान रह चुके हैं. मैंने उनके बारे में ज्यादा सुना या पढ़ा नहीं था, लेकिन फिल्म साइन करने के बाद रोजाना उनसे मिलकर उन्हें जान रहा हूं.'  दिलजीत ने कहा कि उन्होंने फिल्म के लिए खासा मेहनत की है और रोजाना संदीप से बात कर वह हॉकी से जुड़ी कई चीजों को जान पाए हैं. बता दें हॉकी सीखने के लिए एक महीने तक संदीप सर के साथ प्रैक्टिस की. शूटिंग के दौरान रोजाना ही हॉकी खेलते थे.' दिलजीत ने कहा कि फिल्मों से अवेयरनेस बढ़ती है. हमें अपने खिलाड़ियों को सपोर्ट करना चाहिए. लोगों को स्टेडियम में जाकर मैच देखने चाहिए और टीम की हौसलाआफजाई करनी चाहिए, इससे खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ता है.यह हमारी कमी है कि हम हॉकी को उतना प्रमोट नहीं कर पाए, जिसकी वह हकदार थी. देश में आज क्रिकेट का जो मुकाम है, वह हॉकी को भी मिलना चाहिए था. दुनिया के 12 से 13 मुल्क क्रिकेट खेलते हैं, लेकिन हॉकी 180 मुल्कों में खेला जाता है. पता नहीं हमारी कमी कहां रह गई.

दिलजीत ने देश में हॉकी खेल के हाल के बारे में आगे बात करते हुए कहा, ‘यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम देश में हॉकी को उतना प्रमोट नहीं कर पाए, जिसका वह हकदार था’. दिलजीत कहते हैं कि उन्हें यह जानकर हैरत हुई कि हॉकी को देश के राष्ट्रीय खेल के तौर पर आधिकारिक रूप से सम्मान नहीं मिला है और इस बारे में हमें बचपन से स्कूलों में गलत सिखाया जाता रहा है.

दिलजीत ने कहा, ‘संदीप सिंह के बारे में युवा पीढ़ी ज्यादा नहीं जानती. मैं भी उनके बारे में सिर्फ इतना जानता था कि वह हॉकी टीम के कप्तान रह चुके हैं. मुझे उनकी जर्नी, उनके संघर्षों के बारे में नहीं पता था. मुझे नहीं पता था कि गोली लगने के बाद वह दो साल तक लकवाग्रस्त रहे और उसके बाद जाकर वह टीम के कप्तान बने और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. संदीप सिंह की कहानी बहुत प्रेरित करने वाली है. यह सिर्फ स्पोर्ट्समैन को ही नहीं, बल्कि आम जन को भी अच्छी लगेगी.’

CM के ट्वीट से हाल ही में पता चला हॉकी नेशनल गेम नहीं

देश का राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद क्रिकेट की तुलना में हॉकी को गंभीरता से नहीं लिया गया है. इस लेकर दिलजीत ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ‘हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है. हमें स्कूलों में गलत पढ़ाया गया है. मुझे भी कल ही पता चला कि इसे राष्ट्रीय खेल के लिए आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी गई है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कल ही ट्वीट करके प्रधानमंत्री से गुजारिश की है कि हॉकी को देश के राष्ट्रीय खेल के तौर पर आधिकारिक रूप से मान्यता दी जाए. हम हॉकी में आठ बार ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. दुनिया के लगभग 180 मुल्क हॉकी खेलते हैं, इसके बावजूद हॉकी को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कर पाए.’

सूरमा को साइन करने की वजह

सूरमा साइन करने से पहले दिलजीत संदीप सिंह के बारे में कितना जानते थे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘सिर्फ इतना कि वह हॉकी के कप्तान रह चुके हैं. मैंने उनके बारे में ज्यादा सुना या पढ़ा नहीं था, लेकिन फिल्म साइन करने के बाद रोजाना उनसे मिलकर उन्हें जान रहा हूं.’

दिलजीत ने कहा कि उन्होंने फिल्म के लिए खासा मेहनत की है और रोजाना संदीप से बात कर वह हॉकी से जुड़ी कई चीजों को जान पाए हैं. बता दें हॉकी सीखने के लिए एक महीने तक संदीप सर के साथ प्रैक्टिस की. शूटिंग के दौरान रोजाना ही हॉकी खेलते थे.’ दिलजीत ने कहा कि फिल्मों से अवेयरनेस बढ़ती है. हमें अपने खिलाड़ियों को सपोर्ट करना चाहिए. लोगों को स्टेडियम में जाकर मैच देखने चाहिए और टीम की हौसलाआफजाई करनी चाहिए, इससे खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ता है.यह हमारी कमी है कि हम हॉकी को उतना प्रमोट नहीं कर पाए, जिसकी वह हकदार थी. देश में आज क्रिकेट का जो मुकाम है, वह हॉकी को भी मिलना चाहिए था. दुनिया के 12 से 13 मुल्क क्रिकेट खेलते हैं, लेकिन हॉकी 180 मुल्कों में खेला जाता है. पता नहीं हमारी कमी कहां रह गई.

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