मनीष शुक्ल
लखनऊ। बोर्ड एक्जाम में फेल होने का डर और अंग्रेजी, गणित विज्ञान का भूत। फिर निराशाजनक परिणाम आने पर आत्महत्या जैसाआत्मघाती कदम। छात्रों के समग्र विकास के लिए किताबी कोर्स पर आधारित परीक्षा प्रणाली को गुडबाय करने की तैयारी शुरू हो गई है।अब कक्षा पांच से ही विद्यार्थी को आत्म विश्वास से लबरेज किया जाएगा जिससे नकारात्मकता को जड़ से समाप्त किया जा सके।अगले शैक्षिक कैलेंडर से कक्षा पांच के बच्चों के लिए डिजिटल साक्षरता अनिवार्य की जाएगी जबकि कठिन विषयों का भूत भगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी, गणित और विज्ञान का एक समान पाठ्यक्रम लागू होगा। नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग( एनसीईआरटी ) फिलहाल नए माडल का पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं, 10वीं और 12वीं के बोर्ड छात्रों के दिमाग से परीक्षाओं का बुखार उतारने के लिए वार्षिक परीक्षा प्रणाली को समाप्त कर आन डिमांड बोर्ड एक्जाम शुरू किए जाएंगे। इन
कक्षाओं के कमजोर छात्रों के मद्देनजर दो स्तरीय पाठ्यक्रम भी लागू होगा।
एनसीईआरटी, टेक्निकल एंड वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (टीवीईटी) समेत विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को आने वाले शैक्षिक
कैलेंडर में लागू करने की कवायद हो रही है। राष्ट्रीय स्तर पर इसमें रायशुमारी भी की जा रही है। आने वाले कैलेंडर वर्ष में करिकुलम
रिफार्म लागू होगा। एनसीईआरटी ऐसे कोर्स डिजाइन कर रहा है जिससे शुरुआती कक्षाओं से ही विद्यार्थी का समग्र विकास हो सके। अब
कक्षा पांच से विद्यार्थी को डिजिटल साक्षर किया जाएगा। जबकि कक्षा से सूचना एवं संचार तकनीकी (आईसीटी ) पाठ्यक्रम शुरू किया
जाएगा। बच्चों के मन- मस्तिष्क से सामाजिक विषमता समाप्त करने के लिए सामाजिक न्याय और कानून जैसे विषय भी
पाठ्यक्रम में होंगे। परीक्षाएं केवल किताबी ज्ञान के आधार पर नहीं होंगी। बल्कि विद्यार्थी की जागरूकता, उसके ज्ञान का दायरा और
समस्या को हल करने की क्षमता को आंकने वाली होंगी। बोर्ड कक्षाओं में वर्ष अंत में होने वाली परीक्षा के स्थान पर ऑन डिमांड बोर्ड
एक्जाम लिए जाएंगे जिससे छात्रों के परीक्षा तनाव को समाप्त किया जा सके।
राष्ट्रीय सर्वे में देखा गया है कि कक्षा दस में सबसे ज्यादा विद्यार्थी गणित, अंग्रेजी और विज्ञान में फेल होते हैं। इस तथ्य को
ध्यान में रखते हुए कक्षा दस की परीक्षा दो स्तर पर आयोजित की जाएंगी। पार्ट एक में उच्च स्तरीय परीक्षा पर आधारित पाठ़्यकम
होगा। यह परीक्षा केवल गणित, विज्ञान और अंग्रेजी में रुचि लेने वाले छात्रों के लिए आयोजित की जाएगी। जो आगे की कक्षाओं में ये
विषय लेने के इच्छुक होंगे। लेबल बी का पाठ्यक्रम इन विषयों में कमजोर विद्यार्थी को ध्यान में रख तैयार किया जाएगा। दसवीं के
बाद अन्य वोकेशनल कोर्सों में प्रवेश लेने के इच्छुक विद्यार्थी लेबल बी पर आधारित सामान्य प्रकार की परीक्षा दे सकेंगे।
कक्षा दसवीं और 12वीं में देशभर के बोर्ड अलग- अलग परीक्षाएं लेते हैं। इन परीक्षा परिणामों में काफी विविधता नजर आती है। कालेज
स्तर पर ग्रेस मार्क के लिए सुविधानुसार मानक होते हैं। जिससे पारदर्शी शिक्षा प्रणाली का सपना प्रभावित होता है। दसवीं और 12वीं की
बोर्ड परीक्षाओं में ऐसी विसंगतियां दूर करने के लिए समान परीक्षा प्रणाली लागू की जा सकती है। इसमें छात्रों के ज्ञान का मूल्यांकन
पर्सेंटाइल प्रणाली से किया जा सकता है। अगले शैक्षिक कैलेंडर से शिक्षा सुधार पर आधारित प्रणाली लागू की जा सकती है।