“ग्रेटर नोएडा में 185 टन गोमांस बरामद, पश्चिम बंगाल से तस्करी का खुलासा। BJP विधायक ने CBI जांच और NSA लगाने की मांग की। प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक हंगामा जारी।”
185 टन गोमांस बरामद: कैसे खुलासा हुआ?
लखनऊ। ग्रेटर नोएडा के दादरी क्षेत्र में 9 नवंबर की रात गाजियाबाद-बुलंदशहर हाईवे पर पुलिस और गोरक्षा दल ने एक कंटेनर पकड़ा। जांच में 32 टन मांस मिला, जिसे दादरी के SPJ कोल्ड स्टोरेज ले जाया जा रहा था। पुलिस ने कोल्ड स्टोरेज पर छापा मारकर 153 टन मांस और बरामद किया।
16 नवंबर को मथुरा लैब से आई रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि यह गौमांस है। कुल 185 टन मांस ज़मीन में दबवाया गया। इस पूरे ऑपरेशन में 10 घंटे लगे।
पश्चिम बंगाल से यूपी तक तस्करी की चेन
जांच में सामने आया कि गोमांस पश्चिम बंगाल के स्लॉटर हाउस से लाया गया। मीट को बोनलेस बफेलो मीट बताकर पैक किया गया। इसे यूपी में स्टोर करके अफ्रीका और खाड़ी देशों तक सप्लाई किया जाता था।
पैकेट पर नकली लेबल:
गोमांस के चार ब्रांड्स (AL माजिद, AL तमीम, सारा, और हूर परी) के नाम से 2-6 किलो के पैकेट तैयार किए गए। सभी पर फ्रोजन बोनलेस बफेलो मीट लिखा गया, लेकिन जांच में गौमांस होने की पुष्टि हुई।
आरोपियों की गिरफ्तारी:
- कोल्ड स्टोरेज मालिक: पूरन जोशी
- डायरेक्टर: खुर्शिदुन नबी
- मैनेजर: अक्षय सक्सेना
- ट्रक ड्राइवर और हेल्पर: शिवशंकर और सचिन
दिल्ली निवासी मोहम्मद खालिद (मुख्य आरोपी) की यूनिवर्सल फूड एक्सपोर्ट कंपनी का नाम भी सामने आया। पुलिस उसकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है।
सियासी घमासान और महापंचायत की तैयारी
BJP विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने आरोप लगाया कि लखनऊ में बैठे दो अधिकारी गोकशी रैकेट का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, “अगर परमाणु बम रखा होता, तो क्या होता?”
BJP विधायक का आरोप:
लखनऊ के अफसर गाय कटवाकर खा रहे पैसा
CBI जांच और कठोर कार्रवाई की मांग:
विधायक ने गृह मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बात कही। हिन्दू महापंचायत में साधु-संत और गोरक्षक आरोपी के खिलाफ NSA, गैंगस्टर और संपत्ति ध्वस्त करने की मांग करेंगे।
लाइसेंस और प्रशासनिक लापरवाही
SPJ कोल्ड स्टोरेज का लाइसेंस जुलाई 2024 में सब्जी और खाद्य सामग्री रखने के लिए जारी हुआ था। उद्यान विभाग ने कहा, “निरीक्षण में कोई मांस नहीं मिला था।”
अब पुलिस ने डीएम को रिपोर्ट भेजकर लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की है।
यह मामला केवल गोकशी तक सीमित नहीं है। इससे जुड़ी तस्करी, प्रशासनिक लापरवाही और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच बेहद जरूरी है। इस केस में CBI जांच की मांग, सख्त कानूनी कार्रवाई और प्रशासनिक सुधारों की सख्त आवश्यकता है।
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मनोज शुक्ल