उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित सुभारती यूनिवर्सिटी में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां MBBS में एडमिशन के लिए 20 छात्रों बौद्ध बन गए। इसके लिए उन्होंने फर्जी बौद्ध धर्म प्रमाण-पत्र (सर्टिफिकेट) भी बनवा लिया। इतना ही नहीं, फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर अल्पसंख्यक कोटे के तहत MBBS में प्रवेश भी प्राप्त कर लिया।
इस मामले के खुलासे के बाद सभी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों में छात्रों द्वारा प्रस्तुत प्रमाण-पत्रों की प्रामाणिकता की जांच शुरू हो गई है। खबर के मुताबिक, यह मामला सामने आने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने गुरुवार को वेबसाइट पर नोटिफिकेशन डाला कि फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र लगाने वाले कैंडिडेट्स पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, सभी के एडमिशन निरस्त किए जाएंगे। इसके बाद 4 कैंडिडेट ने अपनी सीट सरेंडर कर दिए। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों में अल्पसंख्यक कोटे के तहत सीटें आवंटित की जाती हैं। सुभारती यूनिवर्सिटी में पहले चरण की काउंसलिंग के दौरान इसके लिए 22 सीटें आरक्षित की गई थीं।
इनमें से 20 सीटों पर छात्रों ने बौद्ध धर्म का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर प्रवेश ले लिया। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इन दाखिलों की गहन जांच के आदेश दिए हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग की महानिदेशक किंजल सिंह ने कहा कि फर्जी प्रमाण-पत्रों के साथ पाए जाने वाले किसी भी अभ्यर्थी का प्रवेश रद्द कर दिया जाएगा और उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
विभाग इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहा है और इसका उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। खबर के मुताबिक, यूपी में MBBS के एडमिशन की काउंसिलिंग चल रही है। इसी दौरान यह घोटाला सामने आया है। इसमें यूनिवर्सिटी पर 40 से 50 लाख रुपए डोनेशन लेकर एडमिशन देने का भी आरोप है।
वॉट्सऐप पर आई शिकायत, तब खुला मामला
फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए हुए एडिमशन की शिकायत किसी शख्स ने वॉट्सऐप पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक से की। वाट्सऐप चैट में लिखा था कि, उत्तर प्रदेश में मेडिकल के छात्रों की काउंसिलिंग में अल्पसंख्यक दर्जे के नाम पर बड़ा घोटाला चल रहा है।’
मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में बौद्ध अल्पसंख्यक के नाम पर ट्यूशन फीस और अन्य शुल्क के अलावा लाखों रुपए लेकर सामान्य उम्मीदवारों को सीट दी जा रही है। इसमें कौर और मित्तल सरनेम वाले उम्मीदवारों को अल्पसंख्यक कोटे से एडमिशन दिए जा रहे हैं। 40 से 50 लाख रुपए डोनेशन लिए गए हैं।
जांच हुई तो सामने आया मामला
इस शिकायत के बाद चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह ने पूरे मामले की जांच कराई। सुभारती मेडिकल यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यक कोटे से एडमिशन हुए छात्रों के जांच की गई, जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ। दरअसल, जांच में पता चला कि सभी सर्टिफिकेट हाल ही में जारी हुए हैं। जिन कैंडिडेट्स ने बौद्ध सर्टिफिकेट लगाए हैं, सभी हिंदू हैं और संपन्न परिवार के हैं।
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