ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के लिए 27 मई को प्रधानमंत्री के बागपत पहुंचने और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के शिलान्यास के लिए भविष्य में आजमगढ़ के प्रस्तावित दौरे ने विपक्ष को बेचैन कर दिया है। राष्ट्रीय लोकदल ने मंगलवार को यहां प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 27 मई के बागपत दौरे पर रोक लगाने की मांग की है।
तर्क दिया है कि कैराना में 28 मई को मतदान है। ऐसे में 27 मई को प्रधानमंत्री का कैराना से सटे बागपत में आना उपचुनाव को प्रभावित करने की भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। उधर, भाजपा ने इसे रालोद की खुद को भाव देने की रणनीति का हिस्सा बताया है। साथ ही बागपत दौरे को सरकारी कार्यक्रम बताते हुए इसे हताश व निराश विपक्ष की छटपटाहट करार दिया है।
हालांकि, अभी पीएम का अधिकृत कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है लेकिन कहा जा रहा है कि जल्द ही वह आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करेंगे। प्रधानमंत्री का संत कबीरनगर जाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। बागपत चौधरी अजित सिंह का गढ़ है।
अजित बागपत से कई बार सांसद रहे हैं तो आजमगढ़ से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव मौजूदा सांसद हैं। माना जा रहा है कि मोदी का बागपत या आजमगढ़ का दौरा अकारण नहीं है। राजनीतिक समीक्षकों के अनुसार, अब जबकि रालोद और सपा मिलकर कैराना और नूरपुर का उपचुनाव लड़ रहे हैं तो मोदी का बागपत में उद्घाटन के लिए पहुंचना और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के शिलान्यास के लिए आजमगढ़ को चुनना बेवजह नहीं है। कहीं न कहीं भगवा टोली इस बहाने विपक्ष के दो बड़े धुरंधरों के यहां से विकास के दो बड़े काम शुरू कर यह बताना चाहती है कि लंबे समय तक सत्ता के केंद्र रहे लोगों के घर और गढ़ भी विकास से वंचित रहे हैं। यही विपक्ष की चिंता का कारण है।
पश्चिम में जाट व चरण सिंह समर्थकों को प्रभावित कर सकते हैं पीएम मोदी
यही नहीं, 29 मई को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पुण्य तिथि है। विपक्ष को लगता है कि कहीं इस संयोग का लाभ उठाकर मोदी चौधरी साहब के गढ़ में कुछ घोषणाएं करके पश्चिम में अच्छी संख्या में मौजूद जाट तथा चरण सिंह समर्थक अन्य लोगों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं।
भाजपा और रालोद के तर्क
भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित पुरी कहते हैं कि प्रधानमंत्री के बागपत दौरे पर रोक लगाने के लिए रालोद का चुनाव आयोग को ज्ञापन देना राजनीतिक शोशेबाजी के अलावा कुछ और नहीं है। प्रधानमंत्री का बागपत का कार्यक्रम सरकारी है। वह लोगों की सुविधा से जुड़ा कार्यक्रम है। उस पर रोक लगाने की मांगकर रालोद खुद को भाव देने की कोशिश कर रहा है।
विपक्ष को अपने मुंह मिया मिट्ठू बनने की आदत है। कैराना में भाजपा ऐसे ही जीत रही है। एक सीट के लिए प्रधानमंत्री को ताकत लगाने की जरूरत नहीं है। भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता ही मुकाबला कर सकते हैं। उधर, रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे का तर्क है कि कैराना में चुनाव प्रचार बंद होने और मतदान के बीच वाले दिन 27 मई को ही प्रधानमंत्री को ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस- वे के उद्घाटन के लिए बागपत जाने की जरूरत क्यों महसूस हुई?
कर्नाटक में चुनाव प्रचार थमता है तो उन्हें नेपाल में मंदिरों के दर्शन और पूजन की याद आ जाती है और कैराना में प्रचार थमने के बाद उन्हें उद्घाटन की जरूरत महसूस होने लगती है। यह चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश नहीं तो और क्या है?
भाजपा के ये चलेंगे कार्यक्रम
बागपत दौरे से प्रधानमंत्री अपनी सरकार की चार साल की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने और वंचित लोगों को इन्हें दिलाने के अभियान की भी शुरुआत कर देंगे। यह अभियान 30 जून तक चलेगा। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ता सरकार की उपलब्धियां जनता को बताने और जहां सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचा है वहां इन्हें पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
भाजपा 1 से 15 जून तक चौपाल और भाजपा नेताओं के गांव प्रवास के कार्यक्रम फिर शुरू कर रही है। ये कार्यक्रम भी जमीनी पकड़ व पहुंच मजबूत बनाने की कोशिश का हिस्सा हैं।