महाकुम्भ में श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए 30 पौराणिक तोरण द्वार बनाए जा रहे हैं, जिनमें 14 रत्न, नंदी, डमरू, समुद्र मंथन और कच्छप द्वार शामिल हैं। ये द्वार श्रद्धालुओं को देवलोक की अनुभूति कराएंगे। महाकुम्भ की दिव्यता से पूरा महाकुम्भनगर गूंज रहा है।
महाकुम्भनगर, 07 जनवरी: तीर्थों के राजा, तीर्थराज प्रयागराज में महाकुम्भ की तैयारियाँ जोरों पर हैं। महाकुम्भ के आयोजन में श्रद्धालुओं को एक अलग और दिव्य अनुभव देने के लिए 30 पौराणिक तोरण द्वार बनाए जा रहे हैं। इन द्वारों में समुद्र मंथन के 14 रत्न, नंदी, डमरू, कच्छप और अन्य पौराणिक द्वार शामिल हैं, जो श्रद्धालुओं को देवलोक की अनुभूति कराएंगे। महाकुम्भ के इस आयोजन में विश्वभर से श्रद्धालु आकर इस दिव्य वातावरण का हिस्सा बनेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ को पहले से ज्यादा भव्य और दिव्य बनाने का संकल्प लिया है, और इस बार का महाकुम्भ अब तक के सभी कुम्भों से अधिक आकर्षक और दिव्य होने जा रहा है। महाकुम्भ में श्रद्धालु जैसे ही प्रवेश करेंगे, उनका स्वागत करने के लिए 14 पौराणिक रत्न तैयार हैं, जिनमें ऐरावत, कामधेनु गाय, घोड़ा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष और महालक्ष्मी जैसे रत्न शामिल हैं। इन द्वारों के बीच श्रद्धालु के रास्ते में नंदी द्वार और शिव का विशाल डमरू भी उनका अभिनंदन करेंगे।
कच्छप, समुद्र मंथन और नंदी द्वार के अलावा, अन्य तोरण द्वार भी महाकुम्भ में श्रद्धालुओं का स्वागत करेंगे। इस कार्य में प्रदेश भर के कारीगर दिन-रात जुटे हुए हैं। महाकुम्भ नगर की आभा और पौराणिकता श्रद्धालुओं के मन में एक दिव्य अहसास उत्पन्न करेगी।
महाकुम्भनगर में सकारात्मक ऊर्जा और मंत्रों का जाप हो रहा है, जो पूरे क्षेत्र को एक अद्वितीय आभा और शक्ति दे रहा है। इस बार के महाकुम्भ को एक नई दिव्यता से सजाने की पूरी कोशिश की गई है, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को एक अलग और सकारात्मक अनुभव मिले।
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