लखनऊ। वित्त वर्ष की समाप्त होने के पहले ही कलक्ट्रेट स्थित कोषागार में भीड़ लग रही है। विभागों के भुगतान और पैसों के सरेंडर का काम चल रहा है। माना जा रहा है कि करीब एक अरब के बिलों का भुगतान सोमवार तक होगा।
हालांकि क्लोजिंग के कारण इस बार सबसे अधिक दिक्कतों का समाना बुजुर्ग पेंशनधारकों को करना पड़ेगा। वजह ये है कि बैंकों में भी क्लोजिंग व अवकाश के कारण अब 10 अप्रैल से पहले पेंशन नहीं मिल पाएगी।
कोषागार से इस वक्त करीब 40 हजार लोगों की पेंशन ऑनलाइन बैंकों में ट्रांसफर की जाती है। क्लोजिंग के कारण पेंशन धारकों को अप्रैल के पहले सप्ताह में पेंशन नहीं मिल पाएगी।
दूसरी वजह ये भी है कि नए वित्तीय वर्ष से पहले ट्रेजरी में भी काम अधिक बढ़ गया है। सभी कर्मचारी बिलों के भुगतान और सरेंडर हुए पैसों की फीडिंग के काम में ही लगे हुए हैं।
सीटीओ संजय सिंह के मुताबिक सोमवार तक करीब विभिन्न सरकारी विभागों के बिलों की फीडिंग के बाद करीब एक अरब रुपए का भुगतान कर दिया जाएगा। अब तक उन सरकारी विभागों का पैसा सरेंडर हुआ, जिनके पास धनराशि तो थी, लेकिन विकास से संबंधित तमाम काम काज भी नहीं करा पाए और कई कामों के होने के बावजूद किन्हीं कारणों से उनका भुगतान भी नहीं करा पाए।
बताया कि मंडल और जिला स्तरीय सभी सरकारी विभागों और सचिवालय से लेकर अन्य विभागों के राजधानी के लगभग 250 विभागों के भुगतान और बकाया का कामकाज 31 मार्च की शाम पांच बजे तक ही किया जाएगा।
इसके बाद किसी के भी बिल नहीं लिए जाएंगे और न ही उनकी फीडिंग की जाएगी। उन्होंने बताया कि क्लोजिंग के कारण रविवार और 29 को चेटी चन्द के अवकाश के दिन भी ट्रेजरी खुली रहेगी।
ये रहे फिसड्डी विभाग
सीटीओ और जिलाधिकारी के लगातार निर्देशों के बावजूद दर्जन भर से अधिक सरकारी विभागों ने अभी तक अपने बिल ह जमा नहीं किए। यही नहीं इन सरकारी विभागों ने ये भी नहीं बताया है कि उनके पास कितना पैसा पिछले वित्तीय वर्ष का बचा हुआ है और वे उसे सरेंडर क्यों नहीं कर रहे हैं।
इसमें से सीएमओ कार्यालय, कलक्ट्रेट, निर्माण निगम, एसएसपी कार्यालय, समाज कल्याण विभाग, सेल्स टैक्स, बलरामपुर अस्पताल, प्राविधिकी शिक्षा समेत बिजली विभाग आदि ने अब तक बिल प्रस्तुत ही नहीं किए हैं।
ये विभाग अभी कर रहे इंतजार
कुल 250 से अधिक सरकारी विभागों के करीब चार हजार 110 बिलों में से अभी 785 इंतजार ही कर रहे हैं ये उन विभागों के बिल हैं, जिन्होंने पूरे वर्ष सिर्फ कागजों में ही काम किया है। जब बिल वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर जमा करने की बात आई, तो मिलान करने में ही लगे हुए हैं।