“मथुरा में गोवर्धन पूजा का भव्य आयोजन, 21 किलोमीटर की परिक्रमा और गिरिराज जी को 1008 प्रकार के भोग का अर्पण। जानें गोवर्धन पर्वत के पवित्र स्थलों और मंदिरों की खासियत।”
मथुरा । मथुरा के गोवर्धन पर्वत पर आयोजित गोवर्धन पूजा में इस साल देश-विदेश से करीब 3 लाख श्रद्धालुओं ने 21 किलोमीटर की पवित्र परिक्रमा की। अनुमान है कि शाम तक यह संख्या 5 लाख को पार कर जाएगी। भक्तजन ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य कर रहे हैं, और गिरिराज जी को 1008 तरह के विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए गए हैं।
गिरिराज जी के लिए 1008 तरह के भोग
गिरिराज जी को अर्पित करने के लिए विभिन्न प्रकार के भोग तैयार किए गए हैं, जिनमें मिठाइयां, फल, और नए अनाज से बने विभिन्न पकवान शामिल हैं। अन्नकूट की यह परंपरा हर घर में मनाई जाती है, जहां गाय के गोबर से बने गिरिराज जी को पूजा जाता है।
गोवर्धन परिक्रमा का धार्मिक महत्व
गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा द्वापर युग से चली आ रही है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव के अभिमान को तोड़ते हुए इस पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। इस घटना की स्मृति में हर साल गोवर्धन पूजा और परिक्रमा का आयोजन किया जाता है।
गोवर्धन पर्वत के मुख्य मंदिरों का विशेष महत्व
- दान घाटी मंदिर – यहाँ भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोपियों से माखन की चोरी की कथाएं जुड़ी हैं।
- जतीपुरा मुखारबिंद – इस मंदिर में गाय के दूध से गिरिराज जी का अभिषेक होता है और विशेष श्रंगार किया जाता है।
- मानसी गंगा – यहां हरिहर मंदिर है और यह परिक्रमा का समापन स्थल माना जाता है।
विश्ववार्ता परिवार की तरफ से आप सभी को “गोवेर्धन पूजा व भाई दूज” की हार्दिक शुभकामनाएँ”
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल