उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 3 दिसंबर को हुई हिंसा के पीछे के कारणों को जानने के लिए पुलिस मशक्कत कर रही है. हिंसा के आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में है. इस दौरान उसने पुलिस को बताया कि हिंसा के वक्त वह गढ़मुक्तेश्वर-बुलंदशहर रुट पर बवाल होने की वजह से वो बलवाइयों के बीच फंस गया था और तभी किसी ने वीडियो बनाया.
बता दें कि मेरठ एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक, अगर जरूरत पड़ती है तो जीतू की रिमांड के लिए कोर्ट में भी एप्लिकेशन दी जाएगी. हालांकि, जीतू के वकील भी उसे जमानत दिलवाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं.
कोर्ट में होने वाली पेशी से पहले यूपी पुलिस ने जीतू से करीब 500 सवाल पूछे, एसआईटी-एसटीएफ ने अलग-अलग करीब 10 घंटे जीतू से पूछताछ भी की.
CDR में जीतू के मोबाइल की लोकेशन घटनास्थल पर भी मिली है, यही कारण है कि मोबाइल की फोरेंसिक जांच होगी. इस दौरान जीतू के मोबाइल के डेटा का पता लगाया जाएगा.
आपको बता दें कि बुलंदशहर में हुई हिंसा में पुलिस ने कुल 87 लोगों पर केस दर्ज किया है. इनमें 27 नामजद और 60 अज्ञात हैं. गौरतलब है कि जीतू ने इससे पहले भी एसटीएफ को बताया था, वह उस दौरान भीड़ में मौजूद था लेकिन उसने गोली नहीं चलाई थी.
दरअसल, 3 दिसंबर को बुलंदशहर में गोकशी विवाद से भड़की हिंसा में भीड़ ने यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस हिंसक भीड़ में जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात 22 राजपूताना राइफल्स का जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी भी शामिल था. पुलिस ने फौजी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की थी.
हिंसा के बाद गिरफ्तार लोगों से पूछताछ और हिंसा के वीडियो खंगालने के बाद पुलिस को शक हुआ कि गोली शायद जीतू फौजी ने ही चलाई थी.
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