मोतीझील मैदान में शनिवार को अखिल भारतीय आयुर्वेदिक महासम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत में सिद्धि प्राप्त करने की विधा योग है और औषधि मार्ग से सिद्धि प्राप्त करना आयुर्वेद है। आयुर्वेद से जुड़े हमारे विशेषज्ञों को अपना संकोच दूर करना होगा। जबतक यह संकोच हटेगा नहीं तबतक एलोपैथ हावी रहेगा। आज ब्रांडिंग का समय है, जो प्रचार में हावी रहते हैं वो ही आगे निकलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर के गोरक्षपीठ में 1970 में आयुर्वेदिक कॉलेज था, उनका विचार था यहां विशुद्ध रूप से आयुर्वेद से ही इलाज हो लेकिन उस समय लोग उसे बढ़ाने में असफल रहे। इसके कारण उसे रोक दिया गया, आज वहां तीन सौ बेड का अस्पताल है।
आयुर्वेदिक विवि के लिए दस करोड़ देने की घोषणा
कार्यक्रम में पूर्वाह्न 11:45 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक पहुंचे। यहां पर देश के नामी चिकित्सक भी मौजूद हैं। केंद्रीय मंत्री ने आयुष मंत्रालय की ओर से बाराबंकी में आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के लिए दस करोड़ देने की घोषणा की है। डॉक्टरों ने बीमारियों का हल बताने के साथ मरीजों का उपचार भी किया।
पंचकर्म चिकित्सा की दी जानकारी
महासम्मेलन में पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की जानकारी दी गई। इसमें पहला वमन (उल्टी कराना), दूसरा विरेचन (दस्त कराना), तीसरा नस्य (नाक के अंदर तेल डालना), चौथा वस्ती (गुदा द्वारा औषधि डालना) और पांचवा रक्तमोक्षम (शरीर से गंदा खून बाहर करना) शामिल है।
नाड़ी विशेषज्ञ भी मौजूद
ओपीडी में स्त्री एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। सबसे खास नाड़ी विशेषज्ञों की ओपीडी है। चिकित्सकों ने नाड़ी देखकर मरीजों को बीमारी के बारे में जानकारी दी।
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