नई दिल्ली। नए क़ानून में आपसी सहमति के बिना बनाये गए अप्राकृतिक यौन सबंध के लिए सज़ा के प्रावधान को शामिल करने की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 महीने में फैसला लेने को कहा है। कोर्ट ने इस मांमले को लेकर याचिका दायर करने वाले शख्श को कहा है कि वो सरकार को ज्ञापन दे। सरकार जल्द इस पर फैसला ले। उच्च न्यायलय दिल्ली ने कहा कि ये गम्भीर मामला है। सरकार को इस पर जल्द फैसला लेने की ज़रूरत है। यदि केंद्र सरकार चाहे तो इस पर अध्यादेश भी ला सकती है।
दरअसल इससे पहले IPC की धारा377 के तहत अप्राकृतिक यौन सबंध के लिए ( पुरुष, स्त्री, जानवर के साथ ) 10 साल या उम्रकैद तक की सज़ा का प्रावधान था। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने नवतेज सिंह जौहर मामले में दिए फैसले में सेक्शन 377 के तहत इस तरह के यौन सम्बंध को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया। हालांकि इसके बावजूद बिना सहमति के बने इस तरह के यौन सम्बंध में ये अपराध बना रहा।
इस साल जुलाई में आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता ने ले ली। नए क़ानून में अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न को अपराध के दायरे में लाने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है । इसके चलते कोई पुरुष या ट्रांसजेंडर के साथ कोई अगर उसकी मर्ज़ी के बिना सम्बंध बनाता है तो भी वो सज़ा से बच सकता है।