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लोकदल के रास्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह

पश्चिम बंगाल विधानसभा में पेश अपराजिता बिल को लोकदल का समर्थन

पश्चिम बंगाल। बीते दिनों पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक “अपराजिता बिल” पेश किया गया। जिसमें बलात्कार के दोषियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। इस विधेयक के तहत, बलात्कार के मामलों में दोषी पाए जाने पर 10 दिनों के भीतर फांसी की सजा देने का प्रावधान है। इस कानून का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाना और न्यायिक प्रक्रिया को तेज करना है।

इस विधेयक को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है, और इसे विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिल रहा है। इस बिल के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। सुनील सिंह ने ममता बनर्जी सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि रेप जैसी घृणित घटनाओं पर रोक लगाने के लिए देशभर में ऐसा सख्त कानून लागू होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि इस प्रकार का कानून पूरे भारत में लागू किया जाता है, तो यह निश्चित रूप से बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने में मदद करेगा।

सुनील सिंह ने यह भी कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कठोरतम कानूनों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार का यह कदम सराहनीय है और इसे पूरे देश में एक मिसाल के रूप में देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार, न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाकर अपराधियों को शीघ्र और सख्त सजा दी जानी चाहिए, ताकि अन्य लोगों में भी कानून का डर बना रहे।

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लोकदल अध्यक्ष ने बलात्कार के मामलों में पीड़िताओं के लिए त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस तरह का कानून पूरे देश में लागू किया जाता है, तो इससे न केवल अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकेगी, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक मजबूत संदेश भी जाएगा।

सुनील सिंह की इस प्रतिक्रिया को कई अन्य राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी समर्थन दिया है। उनका मानना है कि ऐसे कठोर कानूनों से ही समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों को रोका जा सकता है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में पेश किए गए इस अपराजिता बिल और लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह की इस पर की गई प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। अब देखना होगा कि इस विधेयक को विधानसभा में कब मंजूरी मिलती है और क्या इसे अन्य राज्यों या पूरे देश में भी लागू किया जाएगा।

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