कानपुर। पहाड़ों के साथ उत्तर प्रदेश में हो रही बारिश से गंगा के बाद अब यमुना नदी भी उफनाने लगी है। इससे नदी के किनारे खड़ी ज्वार की फसल किसानों की डूब गई। इसके अलावा घाटमपुर के हरदौली सहित एक दर्जन गांव भी यमुना के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित हैं। कुछ गावों में तो लोगों के घरों पर पानी पहुंच गया है जिससे वह लोग अपना सामान व मवेशी लेकर दूसरी जगह शरण लिये हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से लोगों को हर संभव मदद की जा रही है।
उत्तर प्रदेश में सक्रिय मानसून से हो रही बारिश का असर घाटमपुर तहसील के यमुना नदी किनारे बसे गांवों में साफ देखा जा रहा है। यमुना नदी इन दिनों उफान पर है जिससे एक दर्जन गांवों के किसानों की ज्वार की फसल डूब गई है। इस क्षेत्र में किसान अधिकांश यमुना नदी के किनारे वाले खेतों पर ही ज्वार की फसल बोते हैं। वहीं हरदौली सहित एक दर्जन गांव यमुना नदी की चपेट में है और गांव में घरों में पानी घुस गया है। इनमें कटरी, काटर, गडाथा, इमरतेपुर, कुटरा, मऊ नखत आशिक, हरदौली आंशिक, रामपुर, लोहरी मऊ, अस्वासपुर, मकरंदपुर, टिकरी, गौरवा कछार, अकबरपुर बीरबल, मऊ, समूही सहित एक दर्जन गांव के लोग यमुना के बढ़ते जलस्तर से परेशान हैं। गड़ाथा गांव में तो चारों ओर से यमुना नदी का पानी भर गया है।
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अकबरपुर के ग्राम प्रधान रामकुमार कर्णधार ने बताया कि यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और खतरे के निशान को जलस्तर किसी भी समय छू सकता है। बताया कि बीते कई सालों से यमुना का जलस्तर सामान्य रहता था जिससे हर बार की तरह इस बार भी किसानों ने यमुना नदी के किनारे खेतों पर ज्वार फसल की बुआई की है। इस क्षेत्र में ज्वार की फसल अच्छी पैदावर दे देती है, लेकिन यमुना के बढ़ते जलस्तर से फसल खराब होने की पूरी संभावना है और किसानों को नुकसान होगा।
उपजिलाधिकारी यजुवेन्द्र सिंह ने मंगलवार को बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों का बराबर स्थलीय निरीक्षण किया जा रहा है और चौकियां भी स्थापित करा दी गई हैं। इसके साथ ही राजस्व विभाग की टीमें भी बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों की हर संभव मदद में जुटी हुई है।