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लखनऊ में डेंगू का कहर

लखनऊ में डेंगू का कहर: लोकबंधु अस्पताल में इलाज में लापरवाही के आरोप

लखनऊ: लखनऊ में डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले चार दिनों में कुल 106 नए डेंगू के केस रिपोर्ट हुए हैं, जिनमें से 27 मरीज केवल शुक्रवार को ही सामने आए हैं। इस बीच, लोकबंधु अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या और इलाज में लापरवाही के आरोपों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

डॉक्टर भी डेंगू की चपेट में आए लोकबंधु अस्पताल के निदेशक डॉ. सुरेश कौशल को डेंगू हो गया। उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। कई सरकारी अस्पतालों और निजी हॉस्पिटल के डॉक्टर भी डेंगू की चपेट में हैं।

लोकबंधु अस्पताल में बढ़ी भीड़

शनिवार को लोकबंधु अस्पताल के फीवर OPD में मरीजों की भारी भीड़ देखी गई। अस्पताल में डेंगू के मामलों की बाढ़ के चलते चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों पर दबाव बढ़ गया है। यहां मरीजों को समय पर जांच रिपोर्ट नहीं मिल रही है, जिससे उनके इलाज में देरी हो रही है।

डेंगू के नए मामलों की रिपोर्ट

इंदिरा नगर: शुक्रवार को 5 नए मरीज मिले।

कुल 106 मरीज: पिछले चार दिनों में डेंगू के मामलों में वृद्धि।

मलेरिया: 24 घंटे में मलेरिया के 4 नए मरीज भी पाए गए हैं।

मौतों की बढ़ती संख्या

हाल के दिनों में डेंगू से तीन मौतें हुई हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हलचल मची हुई है। चंदन अस्पताल में भर्ती 58 वर्षीय महिला, काकोरी निवासी 34 वर्षीय पवन पाल, और फैजुल्लागंज के 12वीं के छात्र श्रेयांश की डेंगू से मौत हो गई। इन घटनाओं के बाद CMO कार्यालय ने मौतों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है।

लापरवाही के गंभीर आरोप

फैजुल्लागंज के छात्र श्रेयांश के परिजनों ने बलरामपुर अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि उनकी स्थिति गंभीर थी, लेकिन डॉक्टरों ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। इसी कारण उन्हें मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा, जहां उनकी मौत हो गई।

स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

स्वास्थ्य विभाग द्वारा एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन मरीजों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। डॉक्टर सुरेश कौशल सहित कई चिकित्सा कर्मचारियों को भी डेंगू हो गया है, जिससे अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।

निष्कर्ष:

लखनऊ में डेंगू का बढ़ता प्रकोप और लोकबंधु अस्पताल में इलाज में हो रही लापरवाही गंभीर चिंता का विषय बन गई है। इस स्थिति को सुधारने के लिए स्वास्थ्य विभाग को तुरंत प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि मरीजों को समय पर और उचित चिकित्सा सुविधा मिल सके।

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