वाराणसी: पूर्वोत्तर रेलवे के सीनियर डीईएन-टू सत्यम सिंह को CBI ने वाराणसी के DRM ऑफिस से गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई मंगलवार को की गई, जब उन्हें 2.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। सत्यम सिंह पर आरोप है कि उन्होंने 4 करोड़ रुपये के बिल पास कराने के लिए ठेकेदार से 2 लाख रुपये की मांग की थी।
मामला कैसे उजागर हुआ
ट्रेन और सड़क के लिए बने यूपी के पहले रेल कम-रोड ब्रिज के निर्माण में शामिल सत्यम सिंह ने ठेकेदार महेंद्र सिंह से पैसे मांगे। ठेकेदार ने इस मांग की शिकायत भाजपा सांसद से की, जिन्होंने उसे CBI में शिकायत करने की सलाह दी। इसके बाद ठेकेदार ने CBI के साथ मिलकर वाराणसी DRM ऑफिस में जाने का निर्णय लिया।
1 अक्टूबर को, जब ठेकेदार ने सत्यम को रिश्वत देने के लिए 2 लाख रुपये थमाए, तभी CBI की टीम ने छापेमारी कर सत्यम को पकड़ लिया।
CBI की कार्रवाई
सत्यम सिंह के मिर्जापुर स्थित घर और वाराणसी के फ्लैट पर भी देर रात छापेमारी की गई। इस दौरान CBI को चुनार में 6 लाख रुपये कैश, महंगी घड़ियां, आभूषण और अन्य लग्जरी आइटम मिले। CBI ने कार्यालय से कई दस्तावेज, लैपटॉप, रजिस्टर और मोबाइल भी अपने कब्जे में लिए।
सत्यम सिंह की भूमिका
सत्यम सिंह को रेलवे के ड्रीम प्रोजेक्ट का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें पीएम मोदी ने 2017 में रेल कम-रोड ब्रिज का शिलान्यास किया था। इस प्रोजेक्ट में फोरलेन सड़क और ट्रेन के साथ जल मार्ग संचालित हो रहा है। इसके साथ ही, आरवीएनएल के सहयोग से 1766 करोड़ रुपये का पुल और 1400 करोड़ रुपये की नई रेल लाइन का निर्माण चल रहा था।
स्थानीय प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद स्थानीय समुदाय में हलचल मची हुई है। लोग इस बात की सराहना कर रहे हैं कि CBI ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। ठेकेदार ने सांसद के सहयोग से CBI के माध्यम से रिश्वतखोरी के इस मामले को उजागर किया, जिससे यह साफ होता है कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है।
सीबीआई की यह कार्रवाई न केवल सत्यम सिंह के खिलाफ हुई है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई आवश्यक है। इस प्रकार के मामलों में संज्ञान लेना और दोषियों को सजा देना आवश्यक है, ताकि सरकारी तंत्र में भरोसा पुनः स्थापित किया जा सके।