लखीमपुर खीरी। उत्पादकता बढ़ाने एवं जलवायु के अनुकूल स्मार्ट कृषि की रणनीतियों’ पर पहले गोलमेज सम्मेलन का सफल समापन कर ज़ुआरी इंडस्ट्रीज़ (एसपीई-डिविज़न) ने ‘गन्ने की भावी सुरक्षा के लिए दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह सम्मेलन ऐरा खमरिया स्थित गोबिंद शुगर मिल में 30 सितम्बर-1 अक्टूबर को किया गया। सम्मेलन में अग्रणी किसानों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों एवं नीति निर्माताओं ने हिस्सा लिया तथा गन्ने की खेती में आने वाली मुख्य चुनौतियों तथा भावी विकास के लिए स्थायी रणनीतियों पर चर्चा की। खासतौर पर शुगर मिल एवं क्रॉस पॉलिनेशन वाले क्षेत्रों में फसल की उत्पादकता, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार लाना और पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए गन्ना किसानों की चुनौतियों को हल करना इस गोलमेज सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था।
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सम्मेलन के पहले दिन वीके शुक्ला, एडिशनल कैन कमिशनर एवं डायरेक्टर, यूपीसीएसआर, शहाजहांपुर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे तथा सम्मेलन का उद्घाटन लखीमपुर के डीसीओ वेद प्रकाश सिंह की मौजूदगी में किया गया। सम्मेलन में तकरीबन 150 किसानों और प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे यूपीसीएसआर, आईसीएआर, सिंचाई विभाग, नेटाफिम, बलरामपुर चीनी, आईसीआरआईएसएटी आदि से 40 विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन के दौरान हमारे मुख्य अतिथि एडिशनल कैन कमिश्नर, लखनऊ एवं डायरेक्टर, यूपीसीएसआर वीके शुक्ला ने कहा, ‘‘ज़ुआरी के एसपीई डिविज़न ने गन्ने की भावी सुरक्षा पर इस सम्मेलन का आयोजन कर सराहनीय कदम बढ़ाया है। इस मंच पर किसान, कृषि विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक एकजुट हुए, जिन्होंने यूपी में गन्ना किसानों की चुनौतियों पर चर्चा की। अपने प्रयासों के माध्यम से ज़ुआरी एसपीई डिविज़न गन्ने की खेती की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को बढ़ावा देता है, साथ ही किसानों, उद्योग जगत, टेक्नोलॉजी आपूर्तिकर्ताओं एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच अच्छे कनेक्शन बनाने के लिए भी प्रयासरत है। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन से मिली सीख अन्य उद्योगों को भी इस तरह के सत्र आयोजित करने, सभी हितधारकों में जानकारी के प्रसार एवं चर्चा के लिए प्रोत्साहित करेगी।”सम्मेलन के दौरान श्री आलोक सक्सेना, एक्ज़क्टिव डायरेक्टर एवं युनिट हैड, एसपीई डिविज़न ने कहा, ‘‘गोलमेज सम्मेलन के पहले संस्करण को आयोजन करते हुए हमें बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है, जो किसानों, वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और नीतिनिर्माताओं को एक मंच पर लाया। इन सभी उपस्थितगणांं ने गन्ने को मजबूत और हर मौसम की फसल में बदलने के लिए विचार रखे।”