लखनऊ : उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में ग्राम्य विकास विभाग गाँवों के विकास और प्रगति के लिए लगातार सक्रिय है। सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत विशेष कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें महिलाओं के कल्याण पर जोर दिया जा रहा है।
महिला मेटों की नियुक्ति और प्रशिक्षण
मनरेगा योजना के अंतर्गत 20 या 20 से अधिक श्रमिकों वाले कार्यस्थल पर पर्यवेक्षण के लिए महिला मेटों की नियुक्ति की जाती है। महिला मेटों को 3 दिवसीय प्रशिक्षण विकास खण्ड स्तर पर दिया जाता है, जिससे उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। इस वर्ष अब तक 66,454 महिला मेटों का रजिस्ट्रेशन किया गया है, जिनमें से 28,383 को कार्य पर लगाया गया है।
महिलाओं के सशक्तीकरण के प्रयास
उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। मनरेगा के अंतर्गत महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए प्रदेश ने देश में अग्रणी भूमिका निभाई है।
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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है:
- 2019-20 और 2020-21: 34%
- 2021-22: 37%
- 2022-23: 38%
- 2023-24: औसतन 42.27%
- 2024-25: लगभग 43% (अब तक का सर्वाधिक)
आयुक्त, ग्राम्य विकास जी०एस० प्रियदर्शी ने सभी जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है कि महिला मेटों के नियोजन में किसी भी स्तर पर ढिलाई न बरती जाए। ग्राम पंचायतों में नियमानुसार महिला मेटों को नियोजित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
इस प्रकार, मनरेगा योजना के माध्यम से महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है, जो न केवल उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारने में सहायक है, बल्कि ग्रामीण विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।