हिंदू धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को कठोर व्रत में से एक माना जाता है, क्योंकि इसे निर्जला रखा जाता है।
करवा चौथ पर दंपतियों के लिए भावनाओं से भरा एक विशेष दिन, जब सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। यह सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि एक समर्पण है, जो प्रेम, आस्था और विश्वास का प्रतीक है। 20 अक्टूबर को, चन्द्र दर्शन करते हुए महिलाएं अपने प्रियतम के हाथों से जल ग्रहण करेंगी और जीवनभर के साथ का आशीर्वाद मांगेंगी।
करवा चौथ के इस पावन अवसर पर इस बार 5 राजयोगों का महासंयोग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ और फलदायी बना रहा है। शश, गजकेसरी, महालक्ष्मी, बुधादित्य और समसप्तक राजयोग के साथ यह दिन बहुत विशेष होगा। यह महासंयोग लंबे समय बाद आया है, जो व्रतधारी महिलाओं के लिए अद्भुत फलदायी साबित होगा। सुहागिन महिलाएं सुबह से निर्जला उपवास रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।
शाम को 7.40 बजे चंद्रोदय होगा और रात 9 बजे तक महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करेंगी। महिलाएं चंद्रोदय के बाद छलनी से चांद और फिर अपने पति का चेहरा देख कर जल ग्रहण करेंगी, और पति के हाथों से आशीर्वाद प्राप्त करेंगी।
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