Sunday , November 24 2024
World Day for Audiovisual

विश्व श्रव्य-दृश्य धरोहर दिवस: धरोहर को सुरक्षित रखने का संकल्प

 "विश्व श्रव्य-दृश्य धरोहर दिवस हर साल 27 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य ऑडियो-विजुअल सामग्री जैसे फिल्मों, रेडियो, और टेलीविजन के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ हमारे इतिहास को समझ सकें।"

लेखक -मनोज शुक्ल

लखनऊ। हर साल 27 अक्टूबर को विश्व श्रव्य-दृश्य धरोहर दिवस (World Day for Audiovisual Heritage) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य ऑडियो-विजुअल माध्यमों जैसे फिल्मों, रेडियो, टेलीविजन कार्यक्रमों, और अन्य रिकॉर्डिंग्स के माध्यम से संजोई गई सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि ये सामग्री न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास को उजागर करने वाले अनमोल दस्तावेज हैं।

यह भी पढ़ें :अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस: भारतीय कला के इतिहास और प्रसिद्ध कलाकारों का योगदान

दिवस की शुरुआत और इतिहास

इस दिवस को 2005 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा स्थापित किया गया था। यूनेस्को का मानना है कि हमारे पास मौजूद ऑडियो-विजुअल सामग्री इतिहास के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों, सांस्कृतिक परंपराओं, सामाजिक परिवर्तनों, और विशेष यादों की अमूल्य धरोहर हैं। इस सामग्री का संरक्षण केवल ऐतिहासिक तथ्यों को सहेजने के लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को हमारे अतीत के बारे में शिक्षित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

श्रव्य-दृश्य धरोहर का महत्व

ऑडियो-विजुअल सामग्री, जैसे कि फिल्मों, टेलीविजन शो, रेडियो प्रसारण, और संगीत रिकॉर्डिंग्स, समय के साथ-साथ नष्ट होने की स्थिति में आ जाती हैं। इनमें से कई रिकॉर्डिंग्स महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पलों, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों, महान नेताओं के भाषणों, और देश की संघर्षगाथाओं को जीवंत रूप से प्रस्तुत करती हैं। लेकिन, उचित संरक्षण के अभाव में, ये मूल्यवान सामग्री धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है।

हमारे इतिहास को संजोए रखने वाली ये धरोहरें अक्सर खराब मौसम, समय, या तकनीकी उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण नष्ट हो जाती हैं। इसलिए इनको डिजिटल प्रारूप में संरक्षित करने का कार्य आवश्यक हो गया है। डिजिटलकरण के माध्यम से इन धरोहरों को सुरक्षित रखना आसान हो गया है और इस प्रकार हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें सुलभ बनाया जा सकता है।

विश्व श्रव्य-दृश्य धरोहर दिवस के उद्देश्य

• संरक्षण के प्रति जागरूकता: यह दिन उन संस्थानों और व्यक्तियों को प्रोत्साहित करता है, जो ऑडियो-विजुअल सामग्री का संरक्षण कर रहे हैं। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य संरक्षण की आवश्यकता और महत्ता के प्रति जागरूकता फैलाना है।

• डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देना: पुरानी ऑडियो-विजुअल सामग्री को डिजिटल प्रारूप में बदलने के लिए प्रयास करना आवश्यक है। इससे सामग्री का गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है और उसे दीर्घकालिक उपयोग के लिए संरक्षित किया जा सकता है।

• संरक्षण कार्यों को समर्थन देना: इस दिवस के माध्यम से सरकारें और संस्थान ऑडियो-विजुअल सामग्री को संरक्षित करने के लिए अधिक धन और संसाधनों का आवंटन करने के लिए प्रेरित होते हैं।

• लोकप्रियता में वृद्धि: इस दिन के माध्यम से ऐतिहासिक धरोहरों का महत्व लोगों के बीच पहुंचाया जाता है, जिससे समाज में उनके प्रति जागरूकता बढ़ती है।

आधुनिक तकनीक की भूमिका

डिजिटल तकनीक की मदद से आज पुराने रिकॉर्ड्स, फिल्में और संगीत को संरक्षित किया जा रहा है। डिजिटलकरण से इन धरोहरों को एक डिजिटल संग्रहालय का रूप दिया जा सकता है, जहां लोग ऑनलाइन जाकर भी इनका आनंद ले सकते हैं।

डिजिटलाइजेशन ने न केवल सामग्री के संरक्षण में मदद की है, बल्कि इसे पूरी दुनिया में लोगों के लिए सुलभ भी बनाया है। इसके अलावा, यह सामग्री उच्च गुणवत्ता में प्रदर्शित हो सकती है, जिससे लोगों को ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक मूल्यों को बेहतर तरीके से समझने का अवसर मिलता है।

भारत में ऑडियो-विजुअल धरोहर का महत्व

भारत में ऑडियो-विजुअल सामग्री का विशेष महत्व है, क्योंकि यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर और विविधता असाधारण है। भारतीय फिल्मों, रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों ने देश की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को प्रमुखता से दर्शाया है। आजादी के आंदोलन के दौरान और उसके बाद भारतीय सिनेमा और रेडियो ने सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारतीय फिल्मों में हमारे समाज की वास्तविकता, संघर्ष, और भावनात्मक पहलुओं का प्रतिबिंब देखने को मिलता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, हमारे कई पुराने फिल्मी और रेडियो रिकॉर्ड्स संरक्षण के अभाव में खराब हो गए हैं। इसलिए, भारत में ऑडियो-विजुअल धरोहरों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है।

ऑडियो-विजुअल सामग्री को संरक्षित करने की चुनौतियाँ

• तकनीकी समस्याएँ: पुराने रिकॉर्डिंग्स को संरक्षित करने में विशेष उपकरणों और तकनीकी जानकारी की जरूरत होती है, जो सभी देशों के पास उपलब्ध नहीं होती।

• उच्च लागत: सामग्री का संरक्षण एक महंगा कार्य है। डिजिटलाइजेशन, संग्रहण और मरम्मत में धन और समय लगता है।

• प्राकृतिक नुकसान: समय के साथ-साथ पुरानी सामग्री खराब हो जाती है, खासकर यदि इसे ठीक से संग्रहित न किया गया हो। आर्द्रता, तापमान में बदलाव, और अन्य पर्यावरणीय कारणों से फिल्में और टेप खराब हो सकते हैं।

• सांस्कृतिक उपेक्षा: कई बार सांस्कृतिक धरोहरों को समय पर संरक्षित करने के बजाय उपेक्षित छोड़ दिया जाता है, जो इनके नष्ट होने का कारण बनता है।

विश्व श्रव्य-दृश्य धरोहर दिवस कैसे मनाएँ?

इस दिन को मनाने का उद्देश्य सिर्फ जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि लोगों को ऑडियो-विजुअल सामग्री के प्रति प्रेरित करना भी है। दुनिया भर में कई संग्रहालय, लाइब्रेरी, और अन्य संस्थान इस दिन विशेष आयोजन करते हैं, जैसे कि फिल्म स्क्रीनिंग, टॉक शो, और वर्कशॉप, जिनमें लोगों को ऑडियो-विजुअल सामग्री की सुरक्षा के तरीकों के बारे में बताया जाता है।

भारत में भी इस दिन विशेष संगोष्ठियों, प्रदर्शनों और कार्यशालाओं का आयोजन होता है, जहाँ विशेषज्ञ संरक्षण के महत्व को समझाते हैं और ऑडियो-विजुअल सामग्री को सुरक्षित रखने के उपायों पर चर्चा करते हैं। इसके साथ ही, डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट्स पर भी कार्य किया जाता है।

विश्व श्रव्य-दृश्य धरोहर दिवस हमें इस बात का एहसास कराता है कि हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। यदि हम आज अपने अतीत को सहेजने की पहल नहीं करते हैं, तो भविष्य की पीढ़ियों के लिए ये धरोहरें खो जाएंगी।

ऑडियो-विजुअल सामग्री हमारी सांस्कृतिक विविधता, हमारे समाज के विकास, और हमारी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। इसे सुरक्षित और संरक्षित रखना ही हमारे अतीत को जीवित रखने का सबसे अच्छा तरीका है। इसलिए, आइए इस दिन पर संकल्प लें कि हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों का सम्मान करेंगे और इन्हें सुरक्षित रखने के हर संभव प्रयास करेंगे।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com