उत्तर प्रदेश में ATS अब गैर-मान्यता प्राप्त मकतबों की फंडिंग और संचालन की जांच कर रही है। सहारनपुर मंडल में 473 मकतबों की लिस्ट तैयार की गई है। जानिए इन केंद्रों की फंडिंग के स्रोत और सुरक्षा प्रबंधों के बारे में।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने अब गैर-मान्यता प्राप्त मकतबों पर नज़र डाली है। पश्चिम यूपी के सहारनपुर मंडल में 473 मकतबों की पहचान की गई है। इनमें से सहारनपुर के 118, शामली के 190, और मुजफ्फरनगर के 165 मकतब शामिल हैं। इनकी फंडिंग और संचालन के स्रोतों की जांच देवबंद स्थित ATS यूनिट करेगी।
ATS मकतबों की 8 अहम बिंदुओं पर जांच करेगी, जिसमें प्रमुख हैं:
1. संचालन कब शुरू हुआ?
2. मान्यता क्यों नहीं ली गई?
3. धन का स्रोत क्या है?
4. कितने छात्रों का रजिस्ट्रेशन है?
5. सुरक्षा के प्रबंध क्या हैं?
6. किसी अन्य संस्थान से संबद्धता तो नहीं?
मकतबों की फंडिंग और संचालन पर सवाल:
मदरसों की तरह मकतबों की फंडिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं। ATS ने सहारनपुर मंडल के अल्पसंख्यक अधिकारियों से संबंधित रिकॉर्ड मांगा है, ताकि इन मकतबों की पारदर्शिता और संचालन के मानदंडों का निरीक्षण किया जा सके।
मदरसे सर्वे का अनुभव और मकतबों पर फोकस:
2022 में मदरसों के सर्वेक्षण के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसमें 8441 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे मिले थे। सरकार की मंशा है कि दीनी शिक्षा केंद्रों की गतिविधियों में पारदर्शिता लाई जाए।
ATS की जांच का उद्देश्य प्रदेश में धार्मिक शिक्षा केंद्रों की गतिविधियों को नियंत्रित करना है। गैर-मान्यता प्राप्त मकतबों की फंडिंग की जांच से शिक्षा केंद्रों की पारदर्शिता में सुधार की उम्मीद है।
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