लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विद्युत वितरण क्षेत्र में एक बड़ा सुधार होने जा रहा है। यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की अध्यक्षता में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में निर्णय लिया गया कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को तोड़कर पांच नई कंपनियों का गठन किया जाएगा।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को विभाजित कर तीन नई कंपनियां बनाई जाएंगी, जबकि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को दो भागों में बांटकर दो नई कंपनियां बनाई जाएंगी। इन नई कंपनियों के पास प्रत्येक लगभग 30 से 35 लाख विद्युत उपभोक्ता होंगे।
इस बदलाव को लेकर जहां राज्य सरकार सुधार की दिशा में कदम बढ़ा रही है, वहीं यूपी विद्युत कर्मचारी संघ लगातार निजीकरण का विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि इस निर्णय से कर्मचारियों के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और निजीकरण की प्रक्रिया तेज होगी।
इसके अलावा, यूपी पावर कॉरपोरेशन ने स्पष्ट किया है कि जो कर्मचारी सुधारों में रुकावट डालने की कोशिश करेंगे, उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। यह कदम राज्य के विद्युत वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
यह बदलाव प्रदेश की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में नए दौर की शुरुआत को दर्शाता है, लेकिन कर्मचारियों और श्रमिक संघों की चिंताएं भी कम नहीं हैं।