“भारतीय अर्थव्यवस्था की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में GDP ग्रोथ 5.4% रही। यह रॉयटर्स के 6.5% के अनुमान से कम है। कई सेक्टर्स जैसे मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग में गिरावट दर्ज की गई, जबकि सार्वजनिक व्यय और कृषि ने कुछ सुधार दिखाया।”
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए GDP ग्रोथ दर घटकर 5.4% पर पहुंच गई है। यह पिछले 18 महीनों में सबसे कम स्तर है। शुक्रवार को नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) ने यह डेटा जारी किया।
अनुमान से कम प्रदर्शन
GDP वृद्धि दर रॉयटर्स पोल के 6.5% अनुमान और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की 6.7% की दर से काफी कम रही। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 8.1% थी। ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA), जो आर्थिक गतिविधियों का मापक है, 5.6% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 6.5% की उम्मीद से कम है।
सेक्टर्स का प्रदर्शन
कृषि सेक्टर:
- ग्रोथ दर 3.5% रही।
- पिछली तिमाही के 2% और पिछले साल की समान अवधि के 1.7% से बेहतर।
माइनिंग सेक्टर:
- ग्रोथ -0.1% रही।
- पिछले साल की समान अवधि में यह 11.1% थी।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर:
- वृद्धि केवल 2.2% रही।
- पिछले साल की समान अवधि में यह 14.3% थी।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर:
- 7.7% की ग्रोथ, लेकिन यह पिछली तिमाही के 10.5% और पिछले साल की 13.6% वृद्धि से कम है।
सार्वजनिक प्रशासन और सरकारी खर्च:
- 9.2% की वृद्धि, जो पिछले साल के 7.7% से अधिक है।
ट्रांसपोर्ट, ट्रेड और होटल सेक्टर:
- इस तिमाही में 6% की वृद्धि हुई।
विश्लेषकों की राय
विश्लेषकों का मानना है कि GDP वृद्धि में कमी निजी खपत और औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती का नतीजा है। कृषि और सरकारी खर्च ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया, लेकिन खनन और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों की कमजोर प्रदर्शन ने समग्र ग्रोथ को प्रभावित किया।
चिंता का विषय
GDP ग्रोथ में गिरावट ने आर्थिक सुधार की स्थिरता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगले तिमाही में सुधार के लिए निजी निवेश और उपभोक्ता मांग बढ़ाने की आवश्यकता है।
GDP क्या है?
GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद, किसी देश में एक निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को मापता है। यह आर्थिक गतिविधियों का सबसे महत्वपूर्ण सूचकांक है। GDP की गणना तिमाही और सालाना आधार पर की जाती है।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल