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BZ Group का सीईओ -भूपेंद्र सिंह झाला

गुजरात के बीज़ेड ग्रुप का 6000 करोड़ का धोखाधड़ी कांड: CEO भूपेंद्र सिंह झाला फरार, CID की छापेमारी में बड़े खुलासे

साबरकांठा (हिमतनगर), गुजरात। गुजरात के बीज़ेड फाइनेंशियल सर्विसेज और बीज़ेड ग्रुप के खिलाफ क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने गुरुवार को छापेमारी की है। इस छापेमारी में सामने आया कि बीज़ेड ग्रुप पर लगभग 6000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। कंपनी ने निवेशकों से अधिक ब्याज का वादा करके उनकी बड़ी रकम हड़प ली है। CID ने गांधीनगर, अरावली, साबरकांठा, महेसाणा और वडोदरा में कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की और इस दौरान एक एजेंट समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया। हालांकि, बीज़ेड ग्रुप के CEO भूपेंद्र सिंह झाला फरार हैं और उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया गया है।

CID की जांच में खुलासा हुआ है कि बीज़ेड ग्रुप ने निवेशकों को 3% से लेकर 30% तक का मासिक ब्याज देने का लालच दिया था। इसके अलावा, कंपनी ने 5 लाख रुपये के निवेश पर मोबाइल फोन और टीवी जैसे गिफ्ट्स देने का वादा किया था। वहीं, 10 लाख रुपये के निवेश पर गोवा ट्रिप का ऑफर दिया जाता था। कंपनी के इन आकर्षक प्रस्तावों के कारण कई लोग धोखाधड़ी का शिकार बने। बीज़ेड ग्रुप ने एक तरह से एक पिरामिड स्कीम चला रखी थी, जिसमें शुरू में अच्छे रिटर्न देने के बाद निवेशकों की बड़ी रकम को धीरे-धीरे हड़प लिया गया।

CID की टीम ने गांधीनगर, अरावली, साबरकांठा, महेसाणा और वडोदरा में बीज़ेड ग्रुप के दफ्तरों पर छापेमारी की। इस दौरान कई अहम दस्तावेज़, लैपटॉप, मोबाइल, चेकबुक, सर्टिफिकेट, और करीब 20 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई। CID के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी के दो बैंक खातों में 175 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। यह जांच और गहराई से की जा रही है, जिससे और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

भूपेंद्र सिंह झाला, जो बीज़ेड ग्रुप के CEO हैं, महज 30 साल की उम्र में इस साम्राज्य को खड़ा करने में सफल हुए थे। शुरुआती दिनों में वह छोटे-बड़े कारोबार में सक्रिय थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने बीज़ेड ग्रुप के तहत एक विशाल नेटवर्क बना लिया। भूपेंद्र ने ना केवल गुजरात में, बल्कि राजस्थान और दुबई में भी ऑफिस खोले थे। उनके खिलाफ यह आरोप हैं कि वह निवेशकों को आकर्षक ऑफर्स दे कर धोखा देते थे।

भूपेंद्र सिंह झाला का नाम राजनीति में भी सुर्खियों में आ चुका है। 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने साबरकांठा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़ गए और पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए। उनके स्थानीय स्तर पर बढ़ते प्रभाव और सामाजिक कार्यों के कारण उनका वर्चस्व बढ़ रहा था। उन्होंने गरीबों के लिए छोटे घर बनवाने और धार्मिक आयोजनों में दान देने जैसी गतिविधियों के माध्यम से लोकप्रियता हासिल की थी।

CID के हलफनामे के मुताबिक, भूपेंद्र सिंह झाला के पास महंगी कारों का काफिला है और उन्होंने पिछले दो साल में 10 एकड़ जमीन खरीदी है। भूपेंद्र के पास 47 ग्राम सोना और उनके पिता के पास 40 ग्राम सोना है। हलफनामे में यह भी बताया गया है कि भूपेंद्र के नाम पर 9 अलग-अलग बैंक खाते हैं, जबकि उनके पिता के नाम पर 3 बैंक खाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने कई महंगे फ्लैट्स खरीदे हैं, जिनमें आलीशान बंगला भी शामिल है।

CID के अधिकारियों ने बताया कि बीज़ेड ग्रुप के एजेंटों को खासतौर पर रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। शुरुआत में निवेश पर अच्छा रिटर्न देने का वादा कर निवेशकों का विश्वास जीता जाता था, लेकिन बाद में बड़ी रकम हड़प ली जाती थी। एजेंटों को उनकी सैलरी के अलावा 5% से 25% तक कमीशन भी दिया जाता था, जिससे वे और अधिक लोगों को कंपनी में निवेश करने के लिए प्रेरित करते थे।

भूपेंद्र सिंह झाला का व्यापार इतना बढ़ चुका था कि उसने हाल ही में गुजरात के आणंद में एक ब्रांच खोली थी और अब वह दुबई और गांधीनगर की गिफ्ट सिटी में भी नए ऑफिस खोलने की योजना बना रहा था। उसकी योजना थी कि वह अपने व्यवसाय को और भी बढ़ाए, लेकिन अब इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश होने के बाद उसकी सारी योजनाएं रुक गई हैं।

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया था कि भूपेंद्र सिंह झाला ने लोकसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला उनके कहने पर किया था। इस बयान के बाद इस मामले में राजनीतिक संलिप्तता के सवाल उठने लगे हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि इस बड़े फ्रॉड में कुछ प्रमुख राजनीतिक नेताओं का हाथ हो सकता है, जिसे CID ने भी जांचने की बात कही है।

इसी बीच, यह भी सामने आया कि भूपेंद्र सिंह झाला ने बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद से भी पुरस्कार प्राप्त किया था। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में सोनू सूद ने भूपेंद्र को सम्मानित किया था। इसके बाद, भूपेंद्र ने सोनू सूद को एक हस्तनिर्मित कलाकृति उपहार में दी थी।

बीज़ेड ग्रुप का यह धोखाधड़ी कांड न केवल निवेशकों के लिए एक बड़ा संकट बना है, बल्कि गुजरात के राजनीतिक और व्यवसायिक माहौल में भी हलचल मच गई है। CID की जांच अब और गहरे मोड़ पर है और यह देखा जाना बाकी है कि इस पूरे मामले में और कौन से बड़े नाम सामने आते हैं। अब, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस धोखाधड़ी में कुछ प्रमुख राजनीतिक दिग्गज भी शामिल हैं? इस मामले की आगामी जांच में और भी कई रहस्यों का खुलासा हो सकता है।

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