उरई जालौन – जिले में रबी की फसल की बुवाई का समय जोरों पर है। लेकिन किसानों को खाद के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। हालत यह है कि बीस बोरी की जरूरत होने पर दो बोरी खाद नहीं मिल पा रही है। इससे किसान परेशान हैं।
किसानों का कहना है कि प्रति वर्ष उनके साथ ऐसा ही होता है। जिम्मेदार पहले से कोई प्लानिंग नहीं करते हैं। इससे इसका खामियाजा किसानों को हर वर्ष भुगतना पड़ता है।
किसानों ने बताया कि समय से खाद न मिलने से बुआई लेट हो रही है। जिससे फसल की पैदावार में सीधा असर पड़ेगा। वैसे ही किसान खरीफ की फसल में पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं।
रबी की फसल की बुआई वैसे ही लेट हो गई है। लेकिन किसानों को फसल बोने के लिए खाद की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। जिले की सहकारी समितियों में समय पर खाद न होने से किसान खाद के लिए भटकने को मजबूर हैं किसान, कई जगह संचालक ताला बंदकर चले गए हैं।
जबकि कई जगहों पर डेशबोर्ड पर डीएपी निल लिख दिया गया है। इससे किसान बोर्ड देखकर ही मायूस होकर लौट रहे हैं।
डीएपी खाद मिलती न देख जालौन में किसानों को भोला ट्रेडर्स, पंकज ट्रेडर्स, प्रवीण ट्रेडर्स औऱ मंसूरी ट्रेडर्स के यहां से किसान 200 से 300 रुपये अधिक दामों में दुकानों से मजबूरी में खाद खरीद रहे हैं। उनका कहना है कि खरीफ की फसल बर्बाद होने से उनकी हालत तो वैसे ही अच्छी नहीं है। ऊपर से समय से उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है।
अब रबी की फसल भी लेट होती दिखाई दे रही है। किसानों का कहना है कि प्रतिवर्ष उनके साथ में ऐसा ही होता है। जिले में हालत ऐसे हैं कि किसी किसान को अगर बीस बोरी की आवश्कता है तो उसे केवल दो बोरी ही नसीब हो रही हैं।
जालौन ब्लाक के दर्जनों गांव के किसान डीएपी खाद न मिलने से परेशान हो रहे हैं।
इस समय रबी की फसल की बुआई का समय चल रहा है, इसलिए किसानों को खाद की जरूरत है, लेकिन डीएपी की किल्लत के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ब्लॉक के सहकारी समितियो में खाद न होने से किसान परेशान हैं। किसान अली मुम्मद, उदयभान सिंह, उमेश सिंह सेंगर, राहुल आदि ने बताया कि हम लोगों को सहकारी समिति पर खाद मिल जाती थी।
जिसका पैसा नकद नहीं देना पड़ता था। खाद न मिलने से पहले तो पैसा कर्ज पर लेना पड़ रहा है और खाद भी महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है। किसान रामलखन,
शिवप्रकाश ने बताया कि एक सप्ताहभर से चक्कर लगा रहे हैं पर खाद नहीं मिल पा रही है।
अधिकारियों की अनदेखी के चलते समितियों में डीएपी खाद के न होने से किसान आए दिन समिति के चक्कर लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि शीघ्र सरसों की बुआई नहीं की गई तो उत्पादन में गिरावट होगी। सरसों की बुआई 7 अक्तूबर 2024 से शुरू हो जाती हैं। अधिक बारिश होने के कारण खेतो में पानी भरा हुआ था।
खेत सूखते ही किसानों ने बुआई के लिए खेत तैयार कर लिए हैं। लेकिन डीएपी खाद के न मिलने से सरसों, मटर, गेंहू की बुआई नहीं हो पा रही हैं। जालौन तहसील में सहकारी समितियो में यूरिया और डीएपी खाद नहीं हैं। एआर विजय प्रकाश ने बताया कि मैं छुट्टी पर हूं जानकारी देने में असमर्थ हूं।
वही एडीसीओ पीएन अनुरागी का कहना हैं कि ब्लाक में 11 सहकारी समितियां है, खाद की उपलब्धता के बारे में सहायक विकास अधिकारी सहकारिता शैलेन्द्र कुमार दे पाएंगे। जब सहायक विकास अधिकारी सहकारिता शैलेन्द्र कुमार से इस संबंध में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने बताया कि वह छुट्टी पर है, उन्होंने बताया कि खाद की उपलब्धता के सम्बंध में एडीसीओ हरिदास यादव से जानकारी लीजिए। जब इस सम्बंध में उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी मैं छुट्टी पर हूं, कुछ भी बताने में असमर्थ हूं।
जब यह आलम अधिकारियों का है कि सब के सब छुट्टी पर है, तो किसान प्राइवेट दुकानों से खाद खरीदने को मजबूर हैं। किसान शिव प्रकाश, रामकुमार, राहुल, उदयवीर, सुनील सिंह, सुंदर सिंह, उदयभान आदि का कहना है कि सहकारी समितियों में उपलब्ध खाद की काला बाजारी की जा रही है। इससे उन्हें भटकना पड़ रहा है।
शेखपुरा बुजुर्ग निवासी उदयभान का कहना है प्राइवेट जालौन आकर महंगे दामों में खाद खरीदीनी पड़ रही है डीएपी 1650 की एनपीके खाद जो 1350 रु की दुकान दारो लोकल बाजार में मिल रही है मजबूरी में किसानो को लेना पड़ रहा है। किसान जय सिंह निवासी अटरिया का कहना है खाद की दुकान के चक्कर रोज लगाना पड़ रहा हैं लेकिन यहां खाद नहीं आ रही है प्राइवेट में मिल रही है हम लोग छोटे किसान हैं खाद बीज के लिए पहले से ही उधार लेकर आना पड़ता है अगर खाद जल्दी नहीं मिली तो बुआई का समय निकल जाएगा।
प्राइवेट जालौन आकर महंगे दामों में खाद खरीदीनी पड़ रही है डीएपी 1350 की एनपीके खाद जो 1650 रुपये की बेची जा रही जबकि यूरिया 270 रुपये सरकारी रेट है और 350 में लोकल बाजार में मिल रही है मजबूरी में किसान को बाजार से लेना पड़ रहा है।
वही जालौन में भोला ट्रेडर्स, पंकज ट्रेडर्स, प्रवीण ट्रेडर्स औऱ मंसूरी ट्रेडर्स के यहां से खाद खरीदने वाले अलग अलग दुकानों पर अलग अलग कई किसानों ने ऑन कैमरा बताया कि डीएपी 1650 रुपये की और यूरिया 350 रुपये की खुलेआम बेची जा रही है, हम किसानो को मजबूरी में इतनी महंगी खाद लेनी पड़ रही है, नही तो समय से फसल की बुवाई नहीं हो पाएगी।
कुछ खाद बिक्रेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिला खाद वितरक (होल सेल डिस्टिब्यूटर) द्वारा ही हम लोगो को डीएपी 1550 की यूरिया 300 की दी जा रही है तो हम लोग किसानों को कैसे सरकारी मूल्य पर खाद दे पाएंगे।
वही कृषि अधिकारी गौरव यादव से जानकारी चाही तो उन्होंने ने बताया कि रेट से अधिक दामो पर खाद बेचे जाने की जानकारी मिलने पर कार्यवाही की जाएगी।
रिपोर्ट: सुरेंद्र सिंह