“उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग ने गो आधारित उत्पादों और पंचगव्य के महत्व पर संगोष्ठी आयोजित की। इसमें स्वावलंबी गोशालाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया।”
लखनऊ। सेवा आयोग ने “गो आधारित उत्पादों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान” विषय पर एक महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया। आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में विशेषज्ञों ने पंचगव्य, जैविक खाद, औषधियां और गो उत्पादों के रोजगार सृजन एवं पर्यावरणीय लाभों पर चर्चा की।
मुख्य बातें:
- गोचर भूमि और हरा चारा उत्पादन:
आयोग ने घोषणा की कि प्रत्येक 100 गोवंश पर 15 एकड़ गोचर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी, जहां हरा चारा उगाया जाएगा। - स्वावलंबी गोशालाएं:
गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंचगव्य उत्पाद आधारित कुटीर उद्योग और स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाएगा। - वैश्विक बाजार में विस्तार:
गो उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार और निर्यात के लिए मजबूत वितरण नेटवर्क विकसित करने की योजना बनाई गई है। - जैविक खेती और बायोगैस परियोजनाएं:
विशेषज्ञों ने गोबर से जैविक खाद और बायोगैस संयंत्रों को ग्रामीण विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। मनरेगा वित्त सहायित बायोगैस गोशाला परियोजना जल्द लागू की जाएगी। - पंचगव्य चिकित्सा का प्रचार:
पंचगव्य चिकित्सा के औषधीय गुणों पर जोर देते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि यह आयुर्वेदिक उपचार के साथ स्वास्थ्य बजट को कम करने में मदद करेगा।
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