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न्यायमूर्ति गोविंद माथुर

पीसीएस-जे मुख्य परीक्षा 2022 विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतंत्र जांच के लिए न्यायमूर्ति गोविंद माथुर को किया नियुक्त

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) मुख्य परीक्षा 2022 (यूपी पीसीएस-जे मुख्य 2022) में कथित अनियमितताओं और छेड़छाड़ के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर को स्वतंत्र जांच के लिए नियुक्त किया है।

इस निर्णय का आधार कई याचिकाएं हैं जिनमें आरोप लगाया गया था कि उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़, मूल्यांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी और मेरिट सूची में गलत तरीके से उम्मीदवारों को बाहर किया गया।

मामला तब प्रकाश में आया जब मुख्य याचिकाकर्ता श्रवण पांडे ने दावा किया कि उनकी अंग्रेजी उत्तर पुस्तिका से छेड़छाड़ की गई थी और उसमें उनकी लिखावट नहीं थी। न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फारमान अहमद नक़वी और अधिवक्ता शाश्वत आनंद के तर्क सुनने के बाद मामले की गंभीरता को समझते हुए यह निर्णय लिया।

जुलाई 2024 में यूपीपीएससी ने स्वीकार किया कि मूल्यांकन के दौरान गंभीर त्रुटियां हुई थीं। आंतरिक जांच में यह सामने आया कि दो बंडलों की उत्तर पुस्तिकाओं पर गलत मास्टर फेक कोड लगाए गए थे, जिससे कम से कम 50 उम्मीदवारों के अंकों में अदला-बदली हुई।

खंडपीठ ने न्यायमूर्ति गोविंद माथुर को मूल्यांकन प्रक्रिया की समीक्षा करने, उम्मीदवारों की शिकायतों का समाधान करने और उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया। साथ ही यूपीपीएससी को निर्देश दिया गया है कि परीक्षा से संबंधित सभी रिकॉर्ड जांच पूरी होने तक सुरक्षित रखे जाएं।

यह मामला न्यायिक परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इस विवाद की अगली सुनवाई जुलाई 2025 के पहले सप्ताह में होगी, और जांच के नतीजों से उत्तर प्रदेश में न्यायिक भर्ती प्रक्रिया में नई मिसाल स्थापित होने की उम्मीद है।

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