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antarctica glacier (Representative image)

अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे मिली जीवन की नई दुनिया

दुनिया के सबसे ठंडे और सूखे इलाकों में से एक – अंटार्कटिका – की बर्फ के नीचे वैज्ञानिकों को ऐसी ज़िंदगी के सबूत मिले हैं, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। यह खोज उस जगह हुई है जहाँ एक हिमनद (ग्लेशियर) धीरे-धीरे पीछे हट रहा है। वैज्ञानिकों को यहाँ मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की अलग-अलग प्रजातियाँ मिलीं जो न सिर्फ जीवित हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ मिलकर इस कठिन माहौल में फल-फूल रही हैं।

यह खोज “GFZ हेल्महोल्ट्ज़ सेंटर फॉर जियोसाइंसेज़” और “यूनिवर्सिटी ऑफ पॉट्सडैम” के वैज्ञानिकों द्वारा की गई, जिसमें डॉ. डिर्क वाग्नर प्रमुख लेखक हैं। उनका कहना है कि इस क्षेत्र की मिट्टी में जीवन की विविधता पहले के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। साथ ही, यह भी पता चला है कि अलग-अलग तरह के जीव आपस में सहयोग करते हैं ताकि यह कठिन वातावरण भी उनके लिए रहने लायक बन सके।

लार्समैन पहाड़ियों के अद्भुत परिदृश्य का विस्तृत चित्र, जो पूर्वी अंटार्कटिका की बर्फीली सुंदरता को दर्शाता है। Image Credit: Dirk Wagner, GFZ.

इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने पूर्वी अंटार्कटिका के ‘लार्सेमन हिल्स’ इलाके में एक धीरे-धीरे पीछे हटते ग्लेशियर के सामने से मिट्टी के नमूने इकट्ठा किए। इन नमूनों को 0 से 80 मीटर की दूरी तक पाँच अलग-अलग जगहों से लिया गया और हर जगह से तीन परतों (0 से 30 सेमी गहराई) की मिट्टी का विश्लेषण किया गया।

DNA जांच तकनीक (DNA बारकोडिंग) के ज़रिए यह पाया गया कि इन नमूनों में 2,800 से ज़्यादा अलग-अलग प्रकार के जीव मौजूद थे। इनमें से ज़्यादातर बैक्टीरिया थे, लेकिन उनके साथ-साथ शैवाल (algae), फफूंद (fungi) और अन्य यूकेरियोटिक जीव भी थे। इतना ही नहीं, 40% जीव ऐसे थे जो अब जीवित नहीं हैं, लेकिन उनके DNA मिट्टी में आज भी मौजूद हैं। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिली कि यहाँ पहले कौन से जीव रहते थे और किस क्रम में यह जीवन विकसित हुआ।

हेलीकॉप्टर से लार्समैन पहाड़ियों में उतरते शोधकर्ताओं का दल, जो पूर्वी अंटार्कटिका की रहस्यमय दुनिया में कदम रखता है। Credit: Dirk Wagner, GFZ

यह भी पता चला कि कुछ ठंड-प्रेमी फफूंद (cold-loving fungi) मिट्टी बनाने की प्रक्रिया में सहायक हो सकते हैं। यह पहली ज़रूरत होती है ताकि बाकी सूक्ष्मजीव वहाँ बस सकें। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि कुछ हरे शैवाल और बैक्टीरिया एक-दूसरे के साथ संसाधनों को साझा कर रहे हैं, जैसे पोषक तत्वों का लेन-देन। फफूंद और एक्टिनोबैक्टीरिया की जोड़ी भी पाई गई, जो संभवतः कार्बन को साझा करके एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।

इस खोज से साफ हो गया है कि अंटार्कटिका जैसी बर्फीली वीरानी में भी जीवन ने राह बना ली है – और वह भी आपसी सहयोग से। डॉ. वाग्नर का मानना है कि इन जीवों की पारस्परिक समझ और संसाधनों का सामूहिक उपयोग इस दुर्गम वातावरण में उनकी जीवित रहने की कुंजी है।

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